शक्ति के कंचनपुर में स्थापित शासन की लाइब्रेरी का है हाल- बेहाल, लाखों रुपए की लागत से स्थापित की गई थी लाइब्रेरी, तत्कालीन IAS एसडीएम रैना जमील ने करवाई थी लाइब्रेरी की स्थापना, विद्यार्थी स्वयं जेब से पैसे एकत्रित कर कर रहे रखरखाव, विद्यार्थियों ने करी प्रशासन से तत्काल व्यवस्था में सुधार करने की मांग




शक्ति के कंचनपुर में स्थापित शासन की लाइब्रेरी का है हाल- बेहाल, लाखों रुपए की लागत से स्थापित की गई थी लाइब्रेरी
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- वर्तमान समय में प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर ही पुस्तकों के माध्यम से कोचिंग की सुविधा देने की सोच से विगत वर्षों शक्ति राजस्व अनुविभाग की तत्कालीन IAS प्रशिक्षु एसडीएम श्रीमती रैना जमील ने शहर के कंचनपुर में लाखों रुपए की लागत से लाइब्रेरी की स्थापना की थी, तथा इस लाइब्रेरी की स्थापना कर इसकी निरंतर मॉनिटरिंग एवं रख रखाव के लिए शिक्षा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों की एक संयुक्त टीम का गठन कर लाइब्रेरी की जिम्मेदारी दी गई थी, लाइब्रेरी की स्थापना के बाद से कुछ महीनो तक तो यह लाइब्रेरी विद्यार्थियों के लिए काफी लाभप्रद रही, किंतु वर्तमान में इस लाइब्रेरी की स्थिति यह हो चली है कि यहां ना तो किताबें हैं, अलमारियां खाली पड़ी हुई है,तथा लाइब्रेरी परिसर में विद्युत की भी व्यवस्था चरममरा गई है, आलम यह है कि विद्युत मीटर जल जाता है तो यहां आने वाले विद्यार्थी अपनी जेब से पैसे आपस में एकत्रित कर इसका मेंटेनेंस कर रहे हैं
साथ ही लाइब्रेरी परिसर के बाहर भी देखा जाए तो चारों ओर गंदगी का आलम है, तथा जिन अधिकारियों को इस लाइब्रेरी की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी थी दी गई थी वे यहां झांकने भी नहीं आते, जिसके चलते विद्यार्थियों के भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है, तथा लाइब्रेरी में आने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि वर्तमान में इस लाइब्रेरी की स्थिति को देखते हुए बड़ी ही चिंताजनक एवं दयनीय हालत है, तथा उन्होंने इस संबंध में अनेकों बार स्थानीय प्रशासन को अवगत भी कराया है किंतु प्रशासन न जाने क्यों इस लाइब्रेरी को उपयोगी बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहा है, वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि शासन द्वारा शुरू में लाखों रुपए लगाकर कोई भी नया प्रकल्प चालू जरूर कर दिया जाता है, किंतु उसका रख रखाव न होने पाने के आभाव में यह धीरे-धीरे लोगों के उपयोग से बाहर होने लगता है, वहीं कंचनपुर की लाइब्रेरी प्रारंभ होने से जहां लोगों को इसका काफी फायदा मिल रहा था एवं तत्कालीन एसडीएम रैना जमील की यह सोच भी थी कि इस क्षेत्र के बच्चों को बड़े महानगरों में स्थापित लाइब्रेरी की तरह एक सुविधा मिल सके इसलिए उन्होंने इस लाइब्रेरी की स्थापना की थी किंतु यह इस क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि इतनी अच्छी व्यवस्था को सुचारू ढंग से संचालित नहीं कर पाना कहीं ना कहीं प्रशासन की कमजोरी है, जिला प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि इस दिशा में तत्काल ध्यान दें एवं आज जिला खनिज न्यास निधि मद से लाखों- रुपए करोड़ों रुपए की राशि खर्च की जाती है अगर उसका एक छोटा सा हिस्सा भी इस लाइब्रेरी में लगा दिया जाए तो न जाने कितने विद्यार्थियों का भविष्य संवर सकता है



