लोकसभा चुनाव की मतगणना को लेकर राजनैतिक दलों में बेचैनी- चुनाव की हार जीत तय करेगी नेताओं का राजनैतिक भविष्य, छत्तीसगढ़ में भाजपा के संगठन चुनाव में भी चुनाव की हार- जीत का नेताओं पर पड़ेगा सीधा असर, राज्य में भाजपा- कांग्रेस में टक्कर की स्थिति, महिलाओं को 1 लाख देने की योजना ने कांग्रेस की स्थिति को किया मजबूत



लोकसभा चुनाव की मतगणना को लेकर राजनैतिक दलों में बेचैनी- चुनाव की हार जीत तय करेगी नेताओं का राजनैतिक भविष्य, छत्तीसगढ़ में भाजपा के संगठन चुनाव में भी चुनाव की हार- जीत का नेताओं पर पड़ेगा सीधा असर
सक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- 4 जून को जहां छत्तीसगढ़ प्रदेश की 11 सीटों पर लोकसभा चुनाव के मतगणना के परिणाम आने वाले हैं, तो वहीं इन मतगणना परिणामो की तिथि नजदीक आते-आते राजनीतिक दलों में बेचैनी भी तेज हो गई है,तथा 7 मई को छत्तीसगढ़ प्रदेश की सभी सीटों पर लगभग लोकसभा के चुनाव हेतु मतदान संपन्न हो चुका है, एवं मतगणना एवं मतदान की तिथि में एक बड़े अंतराल ने जहां राजनैतिक दलों के लिए हार- जीत के मंथन को लेकर एक मौका दे दिया है, तो वही छत्तीसगढ़ प्रदेश में देखा जाए तो भाजपा-कांग्रेस दोनों ही अंदरूनी स्तर पर सीटों के आंकड़े को लेकर कुछ भी नहीं कह पा रही है, तथा जिस तरह से छत्तीसगढ़ प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटो के रुझान को लेकर राजनैतिक मतभिन्नता हैं, तो वहीं राजनैतिक जानकारों का मानना है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटो का एक बड़ा प्रतिशत कांग्रेस पार्टी की ओर रुझान के रूप में देखा जा रहा है, तो वहीं भाजपा भी इन खबरों से बेचैन नजर आ रही है
तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश की एकमात्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित जांजगीर चाम्पा सीट पर लोकसभा क्षेत्र में भी जहां भाजपा भले ही ऊपरी स्तर पर जीत को लेकर आश्वस्त है किंतु अंदरूनी स्थिति देखी जाए तो भाजपा भी इस सीट को लेकर कुछ भी नहीं कह पा रही है, तथा जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में बिलाईगढ़, कसडोल, पामगढ़ इन तीनों विधानसभाओ में तो कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है,तो वहीं अकलतरा में लगभग बराबर की स्थिति है, तथा जांजगीर चांपा,जैजैपुर,चंद्रपुर में भी बराबर की स्थिति बताई जा रही है, तथा शक्ति विधानसभा में भाजपा लीड कर सकती है ऐसा राजनैतिक जानकारों का मानना है, तथा कांग्रेस की इस लोकसभा क्षेत्र में मजबूत स्थिति का सबसे बड़ा कारण जन चर्चा में या भी है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं को जो एक लाख रुपए प्रति वर्ष देने की बात कही थी, उसके फार्म प्रत्येक विधानसभा में बड़ी संख्या में भरवाये गए हैं,तथा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी इन फॉर्म को भरवाने के लिए बूथ स्तर पर मेहनत की है, तथा हो सकता है छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में महतारी वंदन योजना की तरह लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को महालक्ष्मी योजना के रूप में इसका लाभ मिल जाए, किंतु मतदाताओं का रुझान तो ईवीएम में बंद है, परंतु एक आकलन ही किया जा सकता है, भले ही एक जून को देश के सभी राज्यों में लोकसभा के चुनाव संपन्न होने के बाद एग्जिट पोल से बहुत कुछ स्थिति स्पष्ट होने वाली है किंतु इसके बावजूद 2024 के लोकसभा के चुनाव सभी राजनैतिक दलों के लिए काफी अहम चुनाव है
तथा भले ही देश में मोदी की लहर चल रही हो, किंतु दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मैदान में आने के बाद कहीं ना कहीं मोदी की भी लोकप्रियता में इसका प्रभाव देखा जा रहा है,तथा पहले जहां भारतीय जनता पार्टी 400 प्लस सीटों के लक्ष्य को एवं संकल्प को पूरा करने की बात कहती थी, किंतु आज जन चर्चा यह है कि भारतीय जनता पार्टी एवं एनडीए गठबंधन 2019 के चुनाव में जिन आंकड़ों तक पहुंच पाया था वह आंकड़े 2024 के चुनाव में मिल पाने मुश्किल नजर आ रहे हैं, तथा राजनैतिक जानकारों का तो यहां तक कहना है कि एनडीए गठबंधन 300 सीटों के अंदर ही सिमट कर रह जाएगा, किंतु इसके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी चुनावी टीम भी चुनाव प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है, मोदी स्वयं जहां विगत दो महीनो से निरंतर चुनाव को लेकर डटे हुए हैं, तो वहीं विपक्षी राजनैतिक दल भी किसी भी मामले में पीछे नजर नहीं आ रहे हैं
तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश में देखा जाए तो लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक 5 सालों में होने वाले संगठन के चुनाव भी होने हैं, तथा लोकसभा चुनाव की हार- जीत का असर संगठन चुनाव में नेताओं के भविष्य पर भी पड़ने वाला है, यह एकदम सत्य बात है तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद जहां पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता सरकारी पदों पर आसीन होने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं, तो वहीं राज्य में निगम- आयोग, विभिन्न प्रदेश, जिला एवं विकासखंड स्तर की समितियो में भाजपा के कार्यकर्ता काबिज होंगे तथा लोकसभा चुनाव के परिणाम से ही नेताओं का भी भविष्य तय होगा एवं जिन क्षेत्रों में नेताओं ने अच्छी मेहनत कर अच्छा परिणाम हासिल किया होगा उन्हें उसी तरह से वजनदार पद मिलने वाले हैं, वहीं भाजपा में संगठन चुनाव भी महत्वपूर्ण होते हैं तथा संगठन चुनाव के लिए बूथ स्तर से लेकर मंडल तथा जिला एवं प्रदेश अध्यक्ष तक चुने जाते हैं, तथा चुकी छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी है अतः संगठन चुनाव में भी काफी मारामारी रहेगी तथा मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, बनने के लिए भी पार्टी के नेता जोर आजमाइश करेंगे एवं अपनी पूरी ताकत झोकेंगे, लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य राजनैतिक दलों ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली है,तथा वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रदेश में राजनैतिक चर्चाओं के अनुसार 8 सीट भाजपा एवं चार सीट कांग्रेस की बताई जा रही है, किंतु भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सर्वाधिक सीट मिलने का दावा कर रहे हैं,तथा छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत ने विगत दोनों चुनाव प्रचार के दौरान छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस को 6-7 सीट मिलने की बात कही थी, किंतु महंत जी की बातों में कितना वजन है यह तो 4 जून को ही पता चलेगा किंतु यह बात तो स्पष्ट है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ में 11 की 11 सीटों पर जीत हासिल करना भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है

