छत्तीसगढ़रायपुरसक्तीसामाजिक

शक्ति के सांस्कृतिक विकास मंच ने दी  JLND कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक श्यामा प्रसाद चरण चौबे को श्रद्धांजलि ,साहित्यकार रमेश सिंघानिया ने कहा- बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे डॉक्टर चौबे, बिलासपुर में हुआ था चौबे जी का निधन

शक्ति के सांस्कृतिक विकास मंच ने दी  JLND कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक श्यामा प्रसाद चरण चौबे को श्रद्धांजलि ,साहित्यकार रमेश सिंघानिया ने कहा- बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे डॉक्टर चौबे, बिलासपुर में हुआ था चौबे जी का निधन Console Corptech
सांस्कृतिक विकास मंच ने किया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
शक्ति के सांस्कृतिक विकास मंच ने दी  JLND कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक श्यामा प्रसाद चरण चौबे को श्रद्धांजलि ,साहित्यकार रमेश सिंघानिया ने कहा- बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे डॉक्टर चौबे, बिलासपुर में हुआ था चौबे जी का निधन Console Corptech
सांस्कृतिक विकास मंच ने किया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

शक्ति के सांस्कृतिक विकास मंच ने दी JLND कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक श्यामा प्रसाद चरण चौबे को श्रद्धांजलि , साहित्यकार रमेश सिंघानिया ने कहा- बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे डॉक्टर चौबे

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सकती-सांस्कृतिक विकास मंच शक्ति द्वारा विवेकानंद योगपीठ शक्ति में 2 सितंबर को जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय शक्ति के सेवानिवृत्त प्राध्यापक और सांस्कृतिक विकास मंच सक्ति के भूतपूर्व अध्यक्ष श्यामा प्रसाद चरण चौबे को 26 अगस्त कृष्ण जन्माष्टमी के दिन निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और वेद मंत्रों के साथ उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई। इस अवसर पर मंच के अध्यक्ष एल आर जायसवाल ने चौबे जी को काव्यात्मक शैली में श्रद्धांजलि दी और उनके निधन पर शोक व्यक्त किया

मंच के संरक्षक रमेश सिंघानिया ने जीवन को नश्वर और क्षणभंगुर बताते हुए उनके सरल व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि रामायण भागवत पुराण और गीता के प्रकांड विद्वान चौबे जी के निधन से अंचल को अपूर्णीय क्षति हुई है।जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय की प्राचार्या शालू पाहवा ने उन्हें कर्तव्य के प्रति सतत् जागरूक व्यक्ति बताते हुए कहा कि समय के पाबंद चौबे जी अर्थशास्त्र में निष्णात होने के बावजूद जब भी महाविद्यालय पढ़ाने आते थे छात्रों को जो पढ़ाना है उसे पढ़ कर आते थे। और उसे इस विशिष्ट शैली में पढ़ाते थे कि नीरस विषय भी सरस हो जाता था तथा छात्र कभी बोरियत महसूस नहीं करते थे और उनका पीरियड अटेंड करने को उत्सुक रहते थे। भूतपूर्व छात्र देवदत चंद्रा, रघुनाथ जायसवाल, चतुर सिंह चंद्रा, गिरधारी लाल चौहान ने भी इस अवसर पर उनसे संबंधित संस्मरण सुनाए और उनकी अध्यापन शैली की प्रशंसा की। अधिवक्ता चितरंजय पटेल, पूर्णानंद गबेल, हरीश दुबे, दिनेश साहू, हरिसिंह सिदार, भगत राम साहू, प्रेमचंद श्रीवास्तव, राजकुमार पटेल आदि ने उनसे संबंधित संस्मरण सुनाते हुए बताया कि गीता रामायण भागवत आदि धार्मिक ग्रंथ उन्हें कंठस्थ थे। वे हिंदी अंग्रेजी दोनों में भागवत कथा का विद्वता पूर्ण व्याख्यान देने में सक्षम थे

Back to top button