शहरी क्षेत्र में मतदान के कम प्रतिशत को लेकर पिथौरा के राजेश गोयल ने कहा– गांवो में बनाए जाएं शहरों की तरह आकर्षक मतदान केंद्र, एवं मतदान केदो में हो बेहतर सुविधाएं, आज भी ग्रामीण इलाकों में हुआ है औसतन 80% मतदान, राजेश ने कहा;-प्रशासन की लाख कोशिशो के बावजूद शहरी क्षेत्र के मतदाताओ में है जागरूकता का आभाव
शहरी क्षेत्र में मतदान के कम प्रतिशत को लेकर पिथौरा के राजेश गोयल ने कहा– गांवो में बनाए जाएं शहरों की तरह आकर्षक मतदान केंद्र, एवं मतदान केदो में हो बेहतर सुविधाएं, आज भी ग्रामीण इलाकों में हुआ है औसतन 80% मतदान
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा एवं देश के पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद निकल कर आए मतदान के प्रतिशत से जहां एक बार फिर से मतदाताओं की जागरूकता पर सवालिया निशान लगा दिया है, तो वही ग्रामीण क्षेत्रों में जहां मतदान का प्रतिशत अच्छा रहा तो वहीं शहरी क्षेत्र में कहीं ना कहीं मतदान कमजोर रहा है
इन्ही सब बातों को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश के पिथौरा शहर के सामाजिक कार्यकर्ता, समाज से भी राजेश गोयल कहते हैं किजिस तरह से शहर वाले मतदाता मतदान में अपनी भागीदारी सक्रियता से नही निभा रहे है, उसे देखते हुए सरकार एवं नीतिबनाने वालों को ध्यान देना चाहिए,श्री गोयल ने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एवं छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एवं बड़े शहरों में मतदान का प्रतिशत तकरीबन 50% के आसपास बताया जा रहा है, जबकि इन जगहों पर सारी सुविधाये मौजूद है,इसके विपरीत सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में 80% से ऊपर मतदान रहा है, जबकि वंहा पर अपेक्षानुरूप सुविधाये नही है, कई जगह नस्कसलियो का डर है,तो कही जंगली हाथियों का डर है, उसके बाद भी ग्रामीण लोगो ने जागरूकता का परिचय दिया है,इसके विपरीत शहर के लोगो में मतदान के प्रति उदासीनता रही जबकि सरकार का अधिकतम बजट इन्ही शहरों में खर्च होता है,एवम तमाम सुविधाओं के होते हुए भी वोट का अच्छा प्रतिशत न आना एक गंभीर विचारणीय प्रश्न है,तो क्यों ना राजधानी भी शहरी क्षेत्र से हटकर सुदूर ग्रामीण अंचल में बनाया जाये
ज्ञात हो की इस वर्ष विधानसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर सभी पांच राज्यों में प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर मतदाताओं को जागरूक करने विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था, तथा प्रशासन ने भी स्वीप कार्यक्रम के तहत अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, किंतु इसके बावजूद कहीं न कहीं मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत अच्छा नहीं रहा एवं मतदाताओं में आखिर में जागरूकता कब आएगी