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शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर जूझ रहा कर्मचारियों की कमी से, पासबुक प्रिंट करवाना हो तो दोपहर 02 बजे के बाद होती है प्रिंटिंग, एक कर्मचारी एक दिन में दो डाकघरो की संभालता है जिम्मेदारी, कैसे होगा मोदी सरकार की डाकघर बचत योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन

शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर जूझ रहा कर्मचारियों की कमी से, पासबुक प्रिंट करवाना हो तो दोपहर 02 बजे के बाद होती है प्रिंटिंग, एक कर्मचारी एक दिन में दो डाकघरो की संभालता है जिम्मेदारी, कैसे होगा मोदी सरकार की डाकघर बचत योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन Console Corptech
शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर
शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर जूझ रहा कर्मचारियों की कमी से, पासबुक प्रिंट करवाना हो तो दोपहर 02 बजे के बाद होती है प्रिंटिंग, एक कर्मचारी एक दिन में दो डाकघरो की संभालता है जिम्मेदारी, कैसे होगा मोदी सरकार की डाकघर बचत योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन Console Corptech
शक्ति के मुख्य डाकघर में पासबुक प्रिंट के लिए नहीं है कर्मचारी, दोपहर 2:00 बजे के बाद होती है प्रिंटिंग
शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर जूझ रहा कर्मचारियों की कमी से, पासबुक प्रिंट करवाना हो तो दोपहर 02 बजे के बाद होती है प्रिंटिंग, एक कर्मचारी एक दिन में दो डाकघरो की संभालता है जिम्मेदारी, कैसे होगा मोदी सरकार की डाकघर बचत योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन Console Corptech
शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर

शक्ति जिला मुख्यालय का मुख्य डाकघर जूझ रहा कर्मचारियों की कमी से, पासबुक प्रिंट करवाना हो तो 2:00 बजे के बाद होती है प्रिंट, एक कर्मचारी एक दिन में दो डाकघर की संभालता है जिम्मेदारी, कैसे होगा मोदी सरकार की डाकघर बचत योजनाओं का क्रियान्वयन

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सकती- शक्ति को जिले का दर्जा मिले 3 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं,किंतु शक्ति जिले के मुख्यालय में स्थित मुख्य डाकघर में आज भी कर्मचारियों के कमी के चलते आने वाले आम नागरिकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, डाकघर में कर्मचारियों के कमी के चलते जहां पासबुक प्रिंट सेक्शन में बैठने वाला कर्मचारी एक दिन में दो अलग-अलग स्थान के डाकघर की जिम्मेदारी संभालता है, तथा सुबह वह मालखरौदा जाता है, तथा 2:00 बजे के बाद शक्ति में बैठता है, ऐसी स्थिति में मुख्य डाकघर में अपनी विभिन्न योजनाओ की पासबुक एवं अन्य प्रिंटिंग करवाने के लिए दोपहर 2:00 बजे के बाद आना पड़ता है,तथा प्रथम सत्र में आने वाले ग्राहकों को यह सुविधा नहीं मिल रही है

तथा जब उपरोक्त कर्मचारियों की अनुपस्थिति की जानकारी उक्त काउंटर से लगे दूसरे काउंटर में उपस्थित महिला कर्मचारी से पूछा जाता है, तो उनके द्वारा सीधे मुंह जवाब दिया ही नहीं जाता तथा तेज आवाज में बात करने पर उनके द्वारा कहा जाता है कि आप साहब से पूछो वही बताएंगे कि कब प्रिंट होगी पासबुक, ज्ञात हो की शक्ति जिला मुख्यालय के इस मुख्य डाकघर में कुछ कर्मचारियों की ऐसी हठ धर्मिता तथा ग्राहकों से रूखे व्यवहार से क्या केंद्र की मोदी सरकार जो की डाकघरो को मजबूत बनाते हुए अपनी योजनाओं को डाकघर के माध्यम से लागू करना चाहती है,तो ऐसे में भला क्या लोगों को डाकघर की योजनाओं का बेहतर लाभ मिल पाएगा तथा केंद्रीय संस्थानों में जहां कर्मचारियों द्वारा वहाँ आने वाले ग्राहकों से मधुर व्यवहार को लेकर बार-बार निर्देशित किया जाता है, तथा केंद्रीय संस्थानों में बकायदा दीवारों पर भी अनेको प्रेरणादायक संदेश लिखे जाते हैं किंतु शक्ति के मुख्य डाकघर में कुछ कर्मचारियों की ऐसे बेरुखी पन से ग्राहकों को अनेकों बार नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है, किंतु ऐसा लगता है कि भारतीय डाक विभाग को ऐसी घटनाओं से कोई फर्क भी नहीं पड़ता एवं शक्ति जिला मुख्यालय होने के चलते यहां के मुख्य डाकघर में सभी आवश्यकता अनुसार कर्मचारियों की पूरे कार्यालयिन समय में उपलब्धता होनी चाहिए

क्योंकि शक्ति जिला मुख्यालय के भारतीय डाकघर में विभिन्न विकासखंडों के लोग आकर अपना कार्य करते हैं, और ऐसे में पासबुक प्रिंटिंग सेक्शन में लगा एक कर्मचारी एक ही दिन में दो स्थानों की जिम्मेदारी कैसे संभालेगा, तथा इस संबंध में डाकघर में स्पीड पोस्ट सेक्शन में उपस्थित एक अन्य कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि उपरोक्त कर्मचारी सुबह मालखरौदा जाता है, तथा वहां काम निपटाकर 2:00 बजे के बाद शक्ति में बैठता है आप 2:00 बजे आ जाइए, उल्लेखित हो कि दूर- दराज ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग जो की बसों से एवं अन्य साधनों से यहां पहुंचते हैं वे सबेरे से आकर घंटो उपरोक्त कर्मचारियों का इंतजार करें तथा कर्मचारी के आने के बाद अपना काम निपटाकर अपने गंतव्य को रवाना हो, तो ऐसा लगता है कि पूरा दिन भर एक छोटे से काम के लिए संबंधित व्यक्ति का निकल जाएगा

वहीं दूसरी ओर शक्ति जिला मुख्यालय के मुख्य डाकघर में देखा जाए तो डाकघर प्रबंधन सिर्फ अपने ऑफिस के अंदर ही सीमित रहता है, डाकघर परिसर में बेतरतीब ढंग से छोटे-बड़े वाहन खड़े रहते हैं, जिससे लोगों को आने-जाने में असुविधा होती है, किंतु प्रबंधन को इससे कोई लेना-देना नहीं है, तथा कभी भी कोई छोटी-बड़ी दुर्घटना घट सकती है, किंतु विडंबना यह है कि डाकघर प्रबंधन कहीं ना कहीं ऐसी घटनाओं का इंतजार कर रहा है, तब वह इन व्यवस्थाओं को बनाएगा

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