विधानसभा अध्यक्ष महंत ने शिक्षक दिवस एवं हलष्ठी,कमर छठ की दी समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं, महंत ने कहा- शिक्षक दिवस पर गुरुजनों को मेरा सादर वंदन, गुरु बिना ज्ञान न मिले- गुरु बिना मिले ना मोक्ष, महंत ने कहा– हलष्ठी एवं कमर छठ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व में से है एक लोकपर्व




विधानसभा अध्यक्ष महंत ने शिक्षक दिवस एवं हलष्ठी,कमर छठ की दी समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं, महंत ने कहा- शिक्षक दिवस पर गुरुजनों को मेरा सादर वंदन, गुरु बिना ज्ञान न मिले- गुरु बिना मिले ना मोक्ष
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति-छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती (शिक्षक दिवस) के अवसर पर गुरुजनों को प्रणाम करते हुए शिक्षक दिवस की बधाईयां दी है। डॉ. महंत ने कहा की, शिक्षक मानव समाज के वह स्तंभ है जिनसे भविष्य के निर्माण की नींव रखी जाती है,डॉ. महंत ने कहा कि, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी एक अच्छे राजनेता होने से पहले एक प्रख्यात शिक्षक, महान दार्शनिक एवं हिन्दू विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज में शिक्षकों के महत्व को बताने एवं शिक्षण कार्य की महानता को बताने में व्यतीत कर दिया, एवं देश के विकास एवं उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। मनुष्य के दिमाग का सही उपयोग सिर्फ और सिर्फ शिक्षा द्वारा ही किया जा सकता है, उनके कहे कथन आज भी सब को प्रेरणा देते हैं। उपरोक्त जानकारी विधान सभा अध्यक्ष डा चरण दास महंत जी के प्रतिनिधी नरेश गेवाडीन ने बताया।।
विस् अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने हलषष्ठी, कमरछठ पर्व पर मातृशक्ति को दी बधाईयां
सक्ति-छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेश की समस्त माताओं को हलषष्ठी, कमरछठ पर दी बधाई शुभकामनाएं दी है,विस् अध्यक्ष डॉ. महंत ने कहा कि, छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्वों में से एक पर्व कमरछठ भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि के लिए हलषष्ठी माता की पूजा-अर्चना करती है। अन्य प्रदेशों में हलषष्ठी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है,डॉ महंत ने कहा कि, षष्ठी, छठ माता की पूजा-अर्चना में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाया जाता है। बिना हल जोते उगता है पसहर चावल, पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन कर व्रत तोड़ती हैं। फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई, छह प्रकार की भाजी का भी पूजा में महत्व है,मान्यता अनुसार माता देवकी के छह पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र की रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादो कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी की आराधना करते हुए व्रत रखा था। इसी मान्यता के चलते महिलाएं अपने पुत्र की खुशहाली के लिए छठ का व्रत रखती हैं और अपने बच्चों की लंबी आयु के लिये सगरी में पोतनी डुबाकर छह-छह बार कमर पर लगाती है। उपरोक्त जानकारी विधानसभा अध्यक्ष डा चरण दास महंत के प्रतिनिधी नरेश गेवाडीन ने दी है