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पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महापर्व – डॉ. चरणदास महंत, महंत ने कहा- श्रद्धा से पितृगण होते हैं प्रसन्न,एवं श्राद्ध करने वाले को मिलती है सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलताएं, 29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष

<em>पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महापर्व – डॉ. चरणदास महंत, महंत ने कहा- श्रद्धा से पितृगण होते हैं प्रसन्न,एवं श्राद्ध करने वाले को मिलती है सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलताएं</em>, 29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष kshititech
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत
<em>पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महापर्व – डॉ. चरणदास महंत, महंत ने कहा- श्रद्धा से पितृगण होते हैं प्रसन्न,एवं श्राद्ध करने वाले को मिलती है सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलताएं</em>, 29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष kshititech
29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष
<em>पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महापर्व – डॉ. चरणदास महंत, महंत ने कहा- श्रद्धा से पितृगण होते हैं प्रसन्न,एवं श्राद्ध करने वाले को मिलती है सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलताएं</em>, 29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष kshititech
29 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृ पक्ष

पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महापर्व – डॉ. चरणदास महंत, महंत ने कहा- श्रद्धा से पितृगण होते हैं प्रसन्न,एवं श्राद्ध करने वाले को मिलती है सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलताएं

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा है कि पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है। श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और उनके नाम से किए जाने वाले तर्पण को स्वीकार करते हैं इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है,डॉ. महंत ने कहा की, शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में पितृगण अपने परिजनों के समीप विविध रूपों में आते हैं और अपने मोक्ष की कामना करते हैं। परिजनों से संतुष्ट होने पर पूर्वज आशीर्वाद देकर हमें अनिष्ट घटनाओं से बचाते है

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ने कहा है कि श्राद्ध से पितृगण प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वालों को सुख-समृद्धि, सफलता, आरोग्य और संतान रूपी फल देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान वैदिक परंपरा के अनुसार ‘ब्रह्मवैवर्तपुराण’ में यह निर्देश है कि इस संसार में आकर जो सद्गृहस्थ अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान, तिलांजलि और ब्राह्मणों को भोजन कराते है, उनको इस जीवन में सभी सांसारिक सुख और भोग प्राप्त होते हैं। वे उच्च शुद्ध कर्मों के कारण अपनी आत्मा के भीतर एक तेज और प्रकाश से आलोकित होते है। मृत्यु के उपरांत भी श्राद्ध करने वाले सदगृहस्थ को स्वर्गलोक, विष्णुलोक और ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। उपरोक्त जानकारी छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डा चरणदास महन्त के प्रतिनिधी नरेश गेवाडीन ने दी हैं

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