जैजैपुर में अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा को मिलेगी संजीवनी, बसपा के दो बार विधायक रहे केशव हाथी छोड़कर थाम सकते है कमल का दामन, विधानसभा चुनाव में मिली KK को करारी हार के बाद प्रदेश संगठन ने उन्हें किया फ्री हैंड,जैजैपुर में भाजपा को मजबूत करेंगे कृष्णकांत, साल 2008 में नई विधानसभा बनने के बाद आज तक बीजेपी नहीं कर पाई इस सीट पर सफलता अर्जित
जैजैपुर में अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा को मिलेगी संजीवनी, बसपा के दो बार विधायक रहे केशव हाथी छोड़कर थाम सकते है कमल का दामन, विधानसभा चुनाव में मिली KK को करारी हार के बाद प्रदेश संगठन ने उन्हें किया फ्री हैंड,जैजैपुर में भाजपा को मजबूत करेंगे कृष्णकांत
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- छत्तीसगढ़ प्रदेश में साल 2008 में जब मालखरौदा विधानसभा से अलग होकर नई विधानसभा के रूप में जैजैपुर का गठन हुआ तथा पहली बार जब विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास ने यहां से जीत दर्ज की, तथा लगातार 2013, 2018 एवं 2023 के चुनाव में भाजपा को इस सीट पर सफलता नहीं मिली तथा भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपना मजबूत वर्चस्व बनाने के लिए अब शक्ति जिले के भाजपा के अध्यक्ष कृष्णकांत चंद्रा को फ्री हैंड कर दिया है, तथा सूत्रों की माने तो कृष्णकांत चंद्रा के नेतृत्व में शीघ्र ही जैजैपुर विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह के आगमन को लेकर एक बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी चल रही है जो की पूर्व में 27 फरवरी को आयोजित होना था किंतु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के दिल्ली प्रवास के दौरान यह कार्यक्रम स्थगित हो गया है
एवं जिला भाजपा अध्यक्ष जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंदी रहे अन्य राजनैतिक दलों के बड़े नेताओं को भी जहां भाजपा में प्रवेश करवाने की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं अगर जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी रणनीति के साथ काम करेगी तो ऐसा लगता है कि आने वाले 2028 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर विजय श्री हासिल कर ले, किंतु वर्तमान स्थिति को देखकर भारतीय जनता पार्टी का जनाधार जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में नजर नहीं आता, भले ही जैजैपुर नगर पंचायत चुनाव में साल 2019 में भाजपा के प्रत्याशी सोनसाय देवांगन ने अपनी व्यक्तिगत मेहनत के दम पर अध्यक्ष का पद हासिल किया तथा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद स्वयं सोनसाय देवांगन ने अध्यक्ष के रूप में सत्ता हासिल कर अपनी कुशल रणनीति का एहसास करा दिया किंतु उसके बावजूद जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी कहीं ना कहीं आपसी अंतर्कलह से जूझ रही है एवं इस क्षेत्र में जहां भाजपा के बड़े दिग्गज नेता हैं किंतु इसके बावजूद न जाने क्यों भारतीय जनता पार्टी को यहां हमेशा ही पराजय का सामना करना पड़ा करता है, किंतु अब ऐसा लगता है कि भाजपा का संगठन जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र को गंभीरता से लेते हुए नए नेताओं को सामने लाकर अपना जनाधार मजबूत करने की तैयारी कर रहा है, वैसे देखा जाए तो 2023 के संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी कृष्णकांत चंद्रा की करारी हार ने पार्टी संगठन को एक बार फिर से मंथन करने पर मजबूत कर दिया है,तो वहीं चुनाव के ठीक बात रिजल्ट आने से पहले ही प्रत्याशी कृष्णकांत चंद्रा ने प्रदेश संगठन से चर्चा कर विधानसभा चुनाव में खिलाफत करने वाले अपनी ही पार्टी के जिम्मेदार जिले के पदाधिकारी को पद मुक्त कर उन्हें सबक सिखाया है, तथा जिला अध्यक्ष कृष्णकांत चंद्रा ने रिजल्ट आने के बाद एक भेंटवार्ता में यह कहा भी था कि आने वाले दिनों में जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में और भी भाजपा के नेताओं के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई होगी
किंतु अभी तक जिला भाजपा अध्यक्ष की उन बातों से और कुछ आसर नजर नहीं आते, किंतु अब ऐसा लगता है कि भाजपा अपनों को हटाने की बजाय दूसरों को अपने घर में लाने पर विश्वास कर रही है, तथा चूंकि सामने लोकसभा का चुनाव है एवं लोकसभा के चुनाव में भले ही मोदी लहर में भाजपा फिर से सत्ता पर काबिज हो जाएगी, ऐसा राजनीतिक सूत्रों का कहना है, किंतु आज नरेंद्र मोदी जिस तरह से एक-एक सीट का आकलन कर उसे पर गंभीरता के साथ अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारने में लगे हुए हैं, तो इस लिहाज से भाजपा जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में भी लोकसभा में रिकॉर्ड वोटो से जीत दर्ज करने की मंशा से ऐसी रणनीति अपनाने जा रही है, वही बहुजन समाज पार्टी के केशव चंद्रा जो की साल 2013 एवं 2018 में लगातार बीएसपी से विधायक चुने गए तथा जब वे 2013 में बीएसपी से विधायक बने थे तब प्रदेश में भाजपा की डॉक्टर रमन सिंह की सरकार थी एवं भाजपा ने उन्हें अपने परिवार में मिलाने का बहुत प्रयास किया, किंतु केशव चंद्रा ने बसपा छोड़ने से इनकार कर दिया था, किंतु अब राजनीतिक सूत्रों के अनुसार 2023 के विधानसभा चुनाव में केशव चंद्रा को मिली हार के बाद अब वे बसपा छोड़कर भाजपा के साथ काम करना चाहते हैं ऐसा लगता है
ज्ञात हो कि साल 2013 एवं 2018 के चुनाव में भाजपा ने अभिभाजित जांजगीर चांपा जिले के भाजपा अध्यक्ष रहे डॉक्टर कैलाश साहू को प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था, किंतु कुछ मतों से डॉक्टर कैलाश साहू पीछे रह गए तथा डॉक्टर कैलाश साहू राजनैतिक रूप से मालखरौदा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक निर्मल सिन्हा के समर्थक माने जाते हैं,तथा जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में निर्मल सिन्हा का भी काफी प्रभाव देखा जाता है, एवं स्वयं निर्मल सिन्हा हसौद से आते हैं तथा वे वर्तमान में जिला पंचायत के सदस्य भी हैं तथा प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं किंतु जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में इतने बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं के रहने के बावजूद भाजपा को जीत न मिल पाना कहीं ना कहीं भाजपा की रणनीति पर सवालिया निशान लगाता है, किंतु अब देखना है कि भाजपा की बदलती सोच से आने वाले दिनों में भाजपा को कितना फायदा होता है