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शक्ति में अगले वर्ष 2026 में होगा संगीतमय ऋषि पंचमी उद्यापन का आयोजन, ऋषि पंचमी महिला समिति द्वारा करवाया जाएगा भव्य कार्यक्रम, ऋषि पंचमी उद्यापन एवं व्रत के विधानों को लेकर महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी (भरत महाराज) सक्ती ने दी जानकारी

शक्ति में अगले वर्ष 2026 में होगा संगीतमय ऋषि पंचमी उद्यापन का आयोजन, ऋषि पंचमी महिला समिति द्वारा करवाया जाएगा भव्य कार्यक्रम, ऋषि पंचमी उद्यापन एवं व्रत के विधानों को लेकर महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी (भरत महाराज) सक्ती ने दी जानकारी kshititech
फाइल फोटो एक नजर में

शक्ति में अगले वर्ष 2026 में होगा संगीतमय ऋषि पंचमी उद्यापन का आयोजन, ऋषि पंचमी महिला समिति द्वारा करवाया जाएगा भव्य कार्यक्रम, ऋषि पंचमी उद्यापन एवं व्रत के विधानों को लेकर महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी भरत महाराज ने दी जानकारी

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ती- शक्ति शहर में आगामी 16 सितंबर 2026 को ऋषि पंचमी महिला समिति द्वारा भव्य रूप से ऋषि पंचमी उद्यापन का आयोजन किया जाएगा, तथा इस वर्ष ऋषि पंचमी के उद्यापन का आयोजन करने की प्रारंभिक चर्चाएं हुई थी, तथा सर्व महिला सदस्यों की सहमति से यह आयोजन अगले वर्ष 2026 में करने पर सहमति बनी है, एवं इस वर्ष ऋषि पंचमी 28 अगस्त 2025 को है, तथा जो माताएं/बहनें ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहती हैं उनके सभी के लिए महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी भरत महाराज ने पूजा से संबंधित विधान बताएं हैं, महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी भरत महाराज का कहना है कि जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहती हैं वे इस प्रकार से व्रत एवं उद्यापन को कर सकती हैं

01- प्रातः काल उठकर 108 पात्र या की लोटे के जल में तीर्थो का या की गंगाजल मिलाकर स्नान करे एवं तुलसी के जड़ की मिट्टी/ मुल्तानी मिट्टी से सिर धोकर या स्नान कर एवं चिटचिटा (अपामार्ग) का दातौन करें
02- शुद्ध वस्त्र लाल या पीला धारण कर सप्त ऋषियों की पूजा करें तथा एक चौकी पर कलश स्थापना कर श्री गणेश जी की पूजा चावल से श्वस्तिक का चिन्ह बनाकर एवम सप्त ऋषियों के प्रतीक के रूप में सात सुपारी या की सात मिट्टी के गोले बनाकर उसकी पूजा करें एवं ध्यान रहे की सप्त ऋषियों में ब्रम्ह ऋषि वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधति की भी पूजा करें
03- व्रत में बिना हल जोते हुए ऋषि धान्य अनाज का खीर बनाकर भोग लगाएं, (प्रचलित भाषा में इसे सामा चावल भी कहते हैं), विशेष नियमों में हल जोतते हुए जमीन से उत्पन्न किसी भी फल को भी इस व्रत के दौरान ग्रहण नहीं करना है
04- ऋषि पंचमी का व्रत प्रत्येक सुहागन स्त्रियों को (चारों वर्ण की) व्रत करने का अधिकार है,एवं उद्यापन हेतु उम्र का कोई बंधन किसी भी पुराणों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है, तथा कोई भी माताएं/ बहने प्रत्येक वर्ष इस ऋषि पंचमी के व्रत को कर सकती हैं
05- इस व्रत को करने से रजस्वला काल में जाने- अनजाने में स्पर्श दोष, संग दोष,रसोई दोष,मंदिर जाने का दोष के साथ ही जो भी दोष उत्पन्न होते हैं, उन सभी को यह व्रत समाप्त करता है,एवम मुक्ति दिलाता है, इस काल में स्पर्श दोष से पित्तर भी नाराज होते हैं,किंतु ऋषि व्रत उद्यापन करने से पितरों को भी प्रसन्नता मिलती है, एवं परिवार में सुख-शांति, पापों से मुक्ति होती है

उपरोक्त संपूर्ण जानकारी जनकल्याण हेतु प्रसारित है,तथा ऋषि पंचमी महिला समिति शक्ति के संरक्षक- महामंडलेश्वर अमृतानंद सरस्वती जी (भरत महाराज) द्वारा दी गई है एवम अधिक जानकारी हेतु भरत महराज जी के मोबाइल नंबर- 9300108901पर संपर्क किया जा सकता है

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