



देश की नए संसद भवन का हुआ उद्घाटन, पीएम मोदी ने जारी किए ₹75 रुपये के विशेष सिक्के एवं डाक टिकट,मोदी ने कहा- यह संसद भवन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का है प्रतिबिंब
सक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- 28 मई 2023 को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नई इबारत लिखी गई, जब हिंदुस्तान का स्वयं का अपना नया संसद भवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पण हुआ, तथा पीएम मोदी ने इस अवसर पर ₹75 रुपये के विशेष सिक्के एवं डाक टिकट भी जारी किए साथ ही मोदी ने कहा कि यह नया संसद भवन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है, तथा प्रधानमंत्री मोदी 28 मई कि सुबह नए संसद भवन परिसर पहुंचकर सर्व पंथ प्रार्थना में शामिल हुए
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम अवसर की बधाई देते हुए कहा कि यह सिर्फ भवन नहीं यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है,प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराने भवन में तकनीकी, बैठने की जगह, बीते दो दशकों में ये चर्चा हो रही थी कि देश को एक नए संसद भवन की आश्वयकता है। आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी। वे लोग कहां बैठते,प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमें खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस समय सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है। बिजली का इस्तेमाल कम हो। डिजिटल गैजेट का इस्तेमाल ज्यादा हो। इसने 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया। इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी बनाई गई है। संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया,प्रधानमंत्री ने भारत के गौरव का जिक्र करते हुए कहा कि भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक सस्था है। यह एक विचार है, एक परंपरा है। हमारे वेद हमें सभाओं समितियों के आदत सिखाते हैं। महाभारत जैसे ग्रंथों, वैशाली जैसे गणतंत्रों को जीकर दिखाया है। तमिलनाडु में मिला 19वीं शिलालेख हर किसी को हैरान कर देता है,हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है संविधान हमारा संकल्प है
मोदी ने कहा कि ये संसद देश की समृद्ध देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। उसका उद्घोष करती है। यह सौभाग्य है कि सेंगोल की गरिमा लौटा सके। जो रुक जाता है उसका भाग्य भी रुक जाता है। इसलिए चलते रहो। गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी यात्रा शुरू की। कितनी ही उतार-चढ़ाव और चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह विकास के नए आयाम को गढ़ने का अमृतकाल है। देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है। आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है,सांसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है। उसको समाहित किया है। यूपी में भदोही के कारिगरों ने अपने हाथ से कालीनों को बुना है। इस भवन के कण-कण में एक भारत श्रेष्ठ भारत की गरिमा का अनुभव होता है



