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मानसून या पावस- वर्तमान प्रकृति के मौसम पर अपनी साहित्यिक पंक्तियों के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भागवत जायसवाल की भावनाएं, भागवत एक अच्छे साहित्यकार के रूप में भी रखते हैं पहचान

मानसून या पावस- वर्तमान प्रकृति के मौसम पर अपनी साहित्यिक पंक्तियों के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भागवत जायसवाल की भावनाएं, भागवत एक अच्छे साहित्यकार के रूप में भी रखते हैं पहचान kshititech
छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भागवत जायसवाल
मानसून या पावस- वर्तमान प्रकृति के मौसम पर अपनी साहित्यिक पंक्तियों के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भागवत जायसवाल की भावनाएं, भागवत एक अच्छे साहित्यकार के रूप में भी रखते हैं पहचान kshititech
मानसून को लेकर अनिश्चितता की स्थिति

वर्तमान प्रकृति के मौसम पर अपनी साहित्यिक पंक्तियों के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भागवत जायसवाल की भावनाएं

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- वर्तमान समय में पड़ रही प्रचंड गर्मी, तो कभी एकाएक बादलों पर छाई काली घटाओं से सुहाने हो रहे मौसम पर छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा के ऊर्जावान अधिकारी भागवत जायसवाल ने अपनी साहित्यिक पंक्तियों के माध्यम से भावनाएं प्रस्तुत की हैं,भागवत जायसवाल कहते हैं कि मानसून या पावस

यह शब्द हिन्दी व उर्दु के #मौसम शब्द का अपभ्रंश है… #मानसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है… आम गर्म वाष्प हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है… जब ये ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्र बढ़ जाती है जिसके कारण #वर्षा होती है… मूलतः मानसून #हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से #भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं,छत्तीसगढ़ में यह #बस्तर से प्रवेश करती है और बाद में #झारखंड के दिशा से भी आती है… आप इस तरह की व्याख्या से अगर उलझ चुके है तो बगैर दिमाग लगाए सामान्य भाषा में… 15 जून के बाद होने वाली तेज वर्षा को मानसून कहते है

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री जायसवाल ने बताया कि तेज गर्मी से तपे धरती में जब शीतल कण की बरसात होती है तब हम #प्रकृति का गुणगान कर उठते है….लेकिन जब तेज हवाओ, अंधड़ और आकाशीय बिजली का #तांडव होता है.. तब हमें इसके रुद्ररूप का पता चलता है… गांवों गलियों में भीनी खुशबू लिए धूल रहित ठंडी शीतल हवाएं.. उमस से भरे जले तपे धरती को शांत कर उठती है… मानसून असर का अनुमान का खेल… अल्निनो लालीनो के प्रभाव का खेल… सब रोचक

बारिश को देख जहां #किसानों के चेहरे खिल उठते है, वही नानी मौसी घर घूम रहे बच्चों के चेहरे में छुट्टियां खत्म होने की मायूसी आ जाती है…रोज तैयार होकर स्कूल जाना, घर आकर #होमवर्क करना…भारी जिम्मेदारी का खेल बन जाता… बड़े हुए तो ग्रेजुएट, बारहवी के बाद नए #कैरियर,नए #कॉलेज चुनने का कशमकश होता …या नए सत्र में वही पुराने दोस्तों से मेल मिलाप की उम्मीद,जमीन के अंदर सुषुप्त पड़े #जीव बाहर आने लगते तो #जलचर जंतुओं की भरमार होने लगती…नाले अब नदी सा रूप ले लेते तो वही जलप्रपातों की भीड़ सी लग जाती… गांव की गलियों और शहर की सड़के पानी से लबालब हो जाती…तो वही #निगम, कृषि वालो का काम बढ़ जाता

आम का मौसम जाता तो #जामुन का आ जाता…खाद बीज का बाजार सजने लग जाता, वही कपड़े, जूते ,ठंडे का व्यापार कमजोर … छाते रेनकोट का जमाना वापस खिल जाता… क्रिकेट सिमट जाता फुटबॉल फैल जाता.. घनघोर बारिश में तले पकोड़े और चाय का लुफ्त उठाते.. बारिश कम होने का टकटकी लगाए देखना,हमारा क्षेत्र #कृषि प्रधान है, और यहां खेती को #मानसून का जुआ भी कहते है…इस जुए में किसान के परिवार से लेकर सत्ता सरकार तक दांव में लग जाया करता है…समय के साथ इस जुए में अब कृषि बीमा, #मनरेगा का मलहम भले ही लग जाता है, पर चेहरा तभी खिलता जब सुबह #खेतो में पानी मिलता

नन्ही घास से फैली हरियाली.. पशुओं की जुगाली…कागज की कश्तीयो का दौर.. इस मानसून का जादू ही माने…ITC का ताप हो या #पछुआ पवनो का असर…इस धरती हो पुनर्जीवित करने वाली मानसून का प्रवेश…नन्हे बालक के शाला प्रवेश उत्सव सा सुखद मौसम का जादू ही माने

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