सक्ती जिले के किसान उड़द की खेती से हो रहे समृद्ध, कृषि विभाग की पहल से यह खेती किसानों के लिए बनी वरदान एवम अधिक फ़ायदेमंद, भूजल स्तर को भी किया जा रहा है इससे मेंटेन,किसानों ने कृषि विभाग का किया धन्यवाद



सक्ती जिले के किसान उड़द की खेती से हो रहे समृद्ध, कृषि विभाग की पहल से यह खेती किसानों के लिए बनी वरदान एवम अधिक फ़ायदेमंद, भूजल स्तर को भी किया जा रहा है इससे मेंटेन
सक्ती छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ती-उड़द की खेती जिले के किसानों के लिए वरदान बन रही है। ग्राम सिरली में किसानों द्वारा धान की फसल में अधिक लागत और पानी की समस्या को देखते हुए उड़द फसल ले रहे है। क्योंकि उड़द की खेती में कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर रहे है तथा गर्मी के दिनों में भूमिगत जल स्तर गिरने के कारण सिंचाई के लिए धान की की तरह पानी की समस्या नही होती है। इस वर्ष ग्राम सिरली में किसानों के द्वारा लगभग 300 एकड़ में उड़द फसल की खेती की गई है। ग्राम के किसान श्री रघुनाथ राठौर ने बताया कि तीन वर्ष पहले वे गर्मी में धान की खेती करते थे किन्तु धान की खेती में पानी की समस्या तथा लागत अधिक पड़ता था। इसलिए वे कृषि विभाग के अधिकारी श्री सुभाष कौशिक के सलाह से धान के बदले उड़द की खेती करना शुरू किये तथा विभाग से ही उन्नत किस्म का आधार बीज प्राप्त कर उड़द की खेती किये। जिससे उन्हें कम लागत में ही अधिक आमदनी प्राप्त हुआ। गतवर्ष वे 5 एकड़ 50 डिसमिल में उड़द की खेती किये थे जिससे उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त हुआ। आमदनी अधिक पाने के कारण इस वर्ष 9 एकड़ में उड़द की खेती कर रहे है। इस वर्ष भी एकड़ में 7-8 क्विं. तक उपज आने की संभावना है
ग्राम के किसान श्री मसतराम जायसवाल ने बताया कि पिछले वर्ष वे 5 एकड़ में उड़द की खेती किये थे तथा कम लागत में अधिक आमदनी प्राप्त होने के कारण इस वर्ष 9 एकड़ में उड़द की खेती कर रहे हैं। उड़द की पुरानी किस्मों में उकठा रोग का अधिक प्रकोप हुआ है किन्तु कृषि विभाग से प्राप्त किस्म इंदिरा उड़द 1 में यह रोग नही है। इसी प्रकार कृषक श्री जगतराम श्रीवास द्वारा 15 एकड़ में इंदिरा उड़द 1 की खेती किये है। ग्राम के किसानों ने बताया कि यहां उड़द की फसल को देख कर प्रभावित हुए है और गांव के आसपास के किसान भी धान फसल के बदले उड़द की खेती कर रहे हैं। इस क्षेत्र में लगभग 750-800 एकड़ में उड़द की खेती किया गया है।उप संचालक कृषि श्री शशांक शिंदे ने बताया कि जिले में गर्मी में भूमिगत जल स्तर गिरने की समस्या को ध्यान में रखकर एवं शासन के निर्देशानुसार ग्रीष्मकालीन धान के रकबे को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। किसानों को धान के बदले रागी एवं दलहन- तिलहन फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि किसान कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर सके। मैदानी अमलों को सतत किसानों से सम्पर्क कर समय-समय पर फसलों में लगने वाले रोग एवं कीटव्याधियों के रोकथाम की जानकारी देने के निर्देश दिये गये हैं