किसी जनप्रतिनिधि ने तो दिखाई कम से कम सचिवों के प्रति हमदर्दी -सचिवों की हड़ताल,सरकार की बनी आफत- सुशासन तिहाड़ की समाधान पेटी में डला आवेदन, पोता की जनपद सदस्य दिव्या गबेल एवं उप सरपंच आशा गबेल ने कहा- सचिवों का किया जाए शासकीय करण, मोदी की गारंटी में एक घोषणा यह भी है भाजपा की




सचिवों की हड़ताल,सरकार की बनी आफत- सुशासन तिहाड़ की समाधान पेटी में डला आवेदन, पोता की जनपद सदस्य दिव्या गबेल एवं उप सरपंच आशा गबेल ने कहा- सचिवों का किया जाए शासकीय करण, मोदी की गारंटी में एक घोषणा यह भी है भाजपा की
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ती- वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ शासन की विष्णु देव सुशासन वाली सरकार द्वारा 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक प्रदेश के सभी जनपद एवं निकाय में सुशासन तिहार का आयोजन कर समाधान पेटी के माध्यम से आवेदन लिए गए, 11 अप्रैल को शक्ति जिले के मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पंचायत पोता में आयोजित ऐसे ही सुशासन तिहार के शिविर में जनपद पंचायत क्षेत्र क्रमांक- 5 जनपद मालखरौदा की सदस्य दिव्या गबेल एवं ग्राम पंचायत पोता की उप सरपंच श्रीमती आशा गबेल ने ऐसे ही एक अलग-अलग आवेदन समाधान पेटी में डाला है, जिसमें दोनों ही जन प्रतिनिधियों ने कहा है कि वर्तमान में पूरे प्रदेश भर में ग्राम पंचायत के सचिव शासकीय कारण की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं, आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पंचायत स्तर पर सचिवों की अहम भूमिका होती है, तथा आज उन पर जहां बड़ी जिम्मेदारी है, तो वहीं राज्य एवं केंद्र सरकार की समस्त पंचायत स्तर की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सचिव के द्वारा करवाया जाता है, किंतु सचिवों को शासकीय करण किए जाने की मांग वर्षो से की जा रही है एवं छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के पूर्व भी सचिवों को शासकीय करण किए जाने की मांग की गई थी, जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने मोदी की गारंटी के अपने घोषणा पत्र में शासकीय करण किए जाने की बात कही थी, किंतु दुर्भाग्य की आज तक सरकार आने के डेढ़साल बीत जाने के बावजूद इस संबंध में कोई पहल नहीं की गई है
दोनों ही जन प्रतिनिधियों ने मांग की है कि विगत दिनों शक्ति जिले के भी ग्राम पंचायत के सभी सचिव ने मोटरसाइकिल पर बाइक रैली निकालकर मोदी की गारंटी के इस हिस्से को जल्द ही पूर्ण करने की भी मांग की थी,ग्राम पंचायत पोता में आए ऐसे दो आवेदनों से जहां एक बार फिर से सचिवों के प्रति लोगों की आस्था देखने को मिली है, तो वहीं ग्रामीण स्तर के जन प्रतिनिधि भी चाहते हैं कि सचिवों का शासकीय करण हो एवं उन्हें पूरा सम्मान दिया जाए, उल्लेखित हो की ग्राम पंचायतो में प्रशासनिक दृष्टिकोण से सचिव एक बड़ा जिम्मेदार व्यक्ति होता है, जिसके हाथों में जहां आर्थिक अधिकार भी होते हैं, तो वहीं पंचायत स्तर पर होने वाली किसी भी अनियमितता के लिए सचिव की जिम्मेदारी भी तय होती है, तो आखिरकार सचिवों का शासकीय करण क्यों नहीं किया जा रहा है, यह सरकार के कार्यों को लेकर एक बड़ा सवालिया निशान लगता है

