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अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, जरूरतमंदों को गर्म कंबल का भी हुआ वितरण,अकलतरा के पोड़ी दलहा में स्थित है आश्रम

<em>अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण</em>, जरूरतमंदों को गर्म कंबल का भी हुआ वितरण,अकलतरा के पोड़ी दलहा में स्थित है आश्रम Console Corptech
महानिर्वाण दिवस पर आयोजित सेवा के तथा रचनात्मक कार्य
<em>अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण</em>, जरूरतमंदों को गर्म कंबल का भी हुआ वितरण,अकलतरा के पोड़ी दलहा में स्थित है आश्रम Console Corptech
महानिर्वाण दिवस पर आयोजित सेवा के तथा रचनात्मक कार्य
<em>अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण</em>, जरूरतमंदों को गर्म कंबल का भी हुआ वितरण,अकलतरा के पोड़ी दलहा में स्थित है आश्रम Console Corptech
महानिर्वाण दिवस पर आयोजित सेवा के तथा रचनात्मक कार्य

अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

अघोर आश्रम पोड़ी दल्हा में 29 नवम्बर को परम पूज्य अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वाँ महानिर्वाण दिवस आश्रम के प्रांगण में परम पूज्य कापालिक धर्म रक्षित राम जी के सान्निध्य में तथा बाबा के हजारों शिष्यों एवं भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर प्रात: लगभग 8 बजे परम पूज्य बाबा जी द्वारा अघोरेश्वर महाप्रभु के चित्र मे पुष्प अर्पित कर पूजन एवं आरती की गयी। आश्रम के भक्तों द्वारा सफलयोनि का पाठ हुआ। तदुपरांत श्रद्धालुगणो द्वारा भी पूजा-अर्चना की गई। इस बीच हवन का कार्यक्रम सम्पन्न किया। प्रसाद वितरण के बाद भत्तों ने पूज्य बाबा का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। परम पूज्य अवधूत भगवान राम के महानिर्वाण दिवस पर अघोर आश्रम में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया था जहां विशेषज्ञ डाक्टर्स ने अपनी सेवाएं दी। इस पुनीत कार्य में पोड़ी दल्हा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा भी अपना सहयोग प्रदान किया गया साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य के केन्द्र अकलतरा ने अपने सारे साजों सामान अर्थात अपने मेडिकल टीम एवं उपकरण तथा दवाइयों सहित पूरे दिन बीमारों को देखती रही कुल 472 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उन्हें दवाइयां और जरूरत अनुसार इंजेक्शन दिए गए

लगभग तीन बजे परम पूज्य कापालिक धर्म रक्षित राम जी बाबा के चरण- कमलों के सान्निध्य में कंबल वितरण का कार्य शुरू किया गया जो 9 बजे तक चलता रहा। इस पुनीत अवसर पर लगभग पाँच हजार जरूरतमंदों को कंबल वितरण किया गया और आसपास के गांवों से लोगों ने स्वास्थ्य शिविर में लाभ उठाया,इस अवसर पर परम् पूज्य बाबा ने गोष्ठी में कहा कीअघधिकांश तो यही देखने में आता है कि हम लोग अपने समय को बहुत बर्बाद कर देते हैं। हम जिस चीज के लिए यहाँ आते हैं या गोष्ठियों में सुनते-सुनाते हैं, वह हममें परिलक्षित नहीं होती। अनर्गल बातचीत में ही या अपने परिवार में या अपने काम धंधे में ही हम सीमित रह जाते हैं, परिणामस्वरुप सभी असंतुष्ट और अस्वस्थ हैं। यहाँ आकर हमलोग अवश्य ही कुछ सोचें-समझें और कम से कम अपने घर-परिवार में ही स्वर्ग का वातावरण बनायें। बड़ा दुर्भाग्य है कि हमलोग खुद ही नरक बनाये हुए हैं। अपने अभ्यंतर में भी कचड़ा बटोरे हुए हैं और अपने साथी-मित्र और परिजनों को भी प्रताड़ित करते हैं तथा अपने समाज और राष्ट्र के विपरीत भी कई चीजें करने को तैयार हो जाते हैं। इस कोरोना में ही देखें तो बहुत धन-संपत्ति रहने के बाद कई लोगों की जान नहीं बच पाई। जिस सुख-शांति को हम मृग-मरीचिका की भांति ढूढ़ रहे हैं वह अगर मिल भी जाय तो भी हो सकता है कि उसको हम संभाल न पायें और अनेकों दुर्व्यसनों में संलिप्त होकर अपने-आपको बर्बाद कर लें। हमारा अहंकार परवान चढ़ जाता है। धन-संपत्ति या अधिकार का दुरुपयोग हमें अनेक परेशानियों में डाल देता है। हम जिस ऐश्वर्य के पीछे भाग रहे हैं वह यदि ईश्वरनिहित ऐश्वर्य नहीं हुआ तो दुखदाई होता है। अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको ध्यान-धारणा, योग, शुद्ध खान-पान, रहन-सहन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अपनी दिनचर्या-जीवनचर्या को व्यवस्थित करें। हमें सुबह उठना चाहिए, क्योंकि सुबह की वायु में अमृत होता है। आज सबकुछ मिलावटी और जहर ही मिल रहा है इसकी जानकारी होने के बाद भी यदि उटपटांग चीजें खाते हैं तो बीमार पड़ते हैं और फिर ईश्वर को या अपने गुरुजनों को याद करने लगते हैं, उनका भी समय बर्बाद करते हैं। आज बहुत से लोग मानसिक रूप से विकृत हो रहे हैं। घरों में बैठे-बैठे या काम-धंधे के बंद होने से अर्थाभाव में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जा रहा है। महापुरुषों की वाणियों का संबल तथा ईश्वर निहित ऐश्वर्य की कामना ही इससे छुटकारा दिला सकती है। सभी की परिस्थितियां ऊपर-नीचे होती हैं, दुःख-सुख सभी को आता है, लेकिन जिसके पास ईश्वर का, गुरुजनों का संबल होता है वह सभी चीजों को चीरते हुए निकल जाता है। वह यही मानता है कि कुछ सीखने के लिए ही यह अभाव आया है। लोकतंत्र की लोग बहुत बड़ाई करते हैं लेकिन इसी की देन है कि किसी भी चीज पर शासन-प्रशासन कड़ाई नहीं कर पाते। लोकतंत्र अच्छा तो है लेकिन इसी की आड़ में अनेक तरह के दुष्कृत्य समाज में हो रहे हैं। प्रदूषण, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, मिलावटखोरी जैसे अनेक समस्याओं पर लगाम कसना बहुत जरुरी है। हाँ, एक बात जरूर है कि हमारी संस्था के अधिकांश लोग जहाँ भी रहते हैं, बहुत ही संयमित जीवन जीते हैं। उनका आचरण-व्यवहार, उनकी वाणी औरों से अलग ही होती है। लोग खुद ही आश्चर्य से पूछते हैं कि आपलोग कैसे इतने शांत और प्रसन्न रहते हैं। बच्चों को हंसने दीजिये, किलकारियां भरने दीजिये, यही तो जीवन है। छोटा सा जीवन रोते-कलपते गुजार देंगे तो बड़ा ही दुखदायी होगा। शास्त्रों में भी कहा गया है कि जिस चीज का हम चिंतन-मनन करते हैं वैसा ही अगला जन्म हमें मिलता है। सात्विक, राजसिक, और तामसिक ये तीनों ही गुण हैं, अवगुण नहीं। कोई एक-दूसरे से अलग नहीं है। कोई आपको मारने आएगा तो उस समय आप सतोगुणी नहीं बने रहेंगे। आपको अपनी रक्षा करनी पड़ेगीहमलोगों को अपने जीवन को सुन्दर, सुखमय बनाने के लिए महापुरुषों की वाणियों का अनुसरण, अपने साहित्य का अध्ययन, चिंतन और मनन करना चाहिए, नहीं तो हमारा यह छोटा सा जीवन व्यर्थ चला जायेगा और अंत में पछतावा ही हाथ लगेगा। अपने भटकाव को हमें स्वयं ही दूर करना होगा, कोई दूसरा हमारे लिए नहीं करेगा। हम सभी को वह ईश्वर सदबुद्धि दें

इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी सर्व धर्म समभाव की भावना के उद्देश्य से मंदिर-मस्जिद तथा गिरिजाघरों में झाड़ू वितरण गये जिसका संदेश है कि हमें इन धार्मिक स्थलों में जाने अपने मन की बुराइयों और कामनाओं को बुहारना है। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों बलौदा, अकलतरा के मरीजों को फल तथा कंबल वितरण किया गया है।इस अवसर में हजारों की संख्या में जरूत मंद लोग एवं श्रद्धालु आश्रम में उपस्थित हुवे और सेवा का लाभ लिया साथ ही साथ कीर्तन भजन का कार्यक्रम भी रखा गया जो लगातार 24 घंटे तक लगातार अघोरानाम पारो मंत्रो नास्तित्त्व गुरौ परम।। के नाम से गूंजता रहा सभी लोग परम पूज्य कापालिक बाबा जी के आशीर्वाद से धन्य हुवे और भक्ति एवं कल्याण का मार्ग भी प्राप्त किया।

<em>अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 31वां महानिर्वाण दिवस मना श्रद्धा के साथ, एकांतवास का वास्तविक अर्थ भागने में नही जागने में- कापालिक बाबा, विशेष दिवस पर हुए सेवा के कार्य एवं निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण</em>, जरूरतमंदों को गर्म कंबल का भी हुआ वितरण,अकलतरा के पोड़ी दलहा में स्थित है आश्रम Console Corptech
महानिर्वाण दिवस पर आयोजित सेवा के तथा रचनात्मक कार्य
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महानिर्वाण दिवस पर आयोजित सेवा के तथा रचनात्मक कार्य
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