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रक्तदान का जुनून- ठठारी गांव से पहुंचे रायपुर एवं जरूरतमंद को किया रक्तदान, रक्तदाता सतीश के जुनून की हो रही सर्वत्र प्रशंशा, ब्लड ग्रुप भी ऐसा जो 10000 लोगों में एक व्यक्ति का ही होता है बॉम्बे ब्लड

रक्तदान का जुनून- ठठारी गांव से पहुंचे रायपुर एवं जरूरतमंद को किया रक्तदान, रक्तदाता सतीश के जुनून की हो रही सर्वत्र प्रशंशा, ब्लड ग्रुप भी ऐसा जो 10000 लोगों में एक व्यक्ति का ही होता है बॉम्बे ब्लड kshititech
रायपुर पहुंच कर रक्तदान करते ठठारी गांव के सतीश सिंह

रक्तदान का जुनून- ठठारी गांव से पहुंचे रायपुर एवं जरूरतमंद को किया रक्तदान, रक्तदाता सतीश के जुनून की हो रही सर्वत्र प्रशंशा, ब्लड ग्रुप भी ऐसा जो 10000 लोगों में एक व्यक्ति का ही होता है बॉम्बे ब्लड

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- कहते हैं कि जरूरतमंद को समय पर रक्तदान करना सबसे बड़ा पुण्य का काम है, तथा आज पूरी दुनिया में ऐसे जुनून रखने वाले रक्तदाता है जो की सिर्फ खबर मिलते ही अपने सारे जरूरी कामों को छोड़कर रक्तदान करने के लिए लालयित नजर आते हैं, कुछ ऐसा ही शक्ति जिले के ठठारी गांव के सतीश का है जिन्होंने अपने गांव से सैकड़ो किलोमीटर दूर रायपुर स्थित बालको हॉस्पिटल पहुंचकर जरूरतमंद को रक्तदान करते हुए महादान किया,रेयर बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले सतीश के रायपुर जाकर रक्तदान करने से जहां लोगों ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया है तो वही जरूरतमंद परिवार जनों ने भी सतीश के प्रति कृतार्थ व्यक्त करते हुए उनके सुनहरे भविष्य की मंगल कामना की है, बालको हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज के लिए ठठारी गांव के रक्तविर सतीश सिंह ठाकुर ने एक ही कॉल पर रायपुर आकर रक्तदान किया। मरीज के परिजनों ने सपर्क किया था, तब उन्होंने उनके लिए ब्लड उपलब्ध करने की बात कही थी।

*इससे पहले भी उनकी टीम के द्वारा 10 अलग अलग मरीजों के लिए रेयर बॉम्बे ब्लड ग्रुप डोनेशन कराया जा चुका है। कुछ वर्ष पहले अपने गाँव ठठारी से रांची (झारखंड) बाइरोड जाकर रक्तदान भी कर चुके हैं। इसी कड़ी में इस वर्ष का 8वां बॉम्बे ब्लड ग्रुप डोनेशन रहा। लाखों लोगों में से किसी एक में पाया जाता है और उसका नाम बॉम्बे ब्लड ग्रुप है। इस रक्त समूह को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट रक्त समूह भी कहते हैं। निःस्वार्थ सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के हजारों रक्तवीर सतीश सिंह ठाकुर को अपना प्रेणास्त्रोत मानते हैं संस्थान के हर रक्तदान शिविर में नए रक्तवीरों को सतीश रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। सतीश ने बताया कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड टाइप विश्व में सिर्फ 0.0004 फीसदी लोगों में ही पाया जाता है। भारत में 10,000 लोगों में केवल एक व्यक्ति का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप होगा। इसे एचएच ब्लड टाइप भी कहते है या फिर रेयर एबीओ ग्रुप के नाम से जाना जाता है। रक्त का डॉक्टर वाईएम भेंडे ने 1952 में इसकी सबसे पहले खोज की थी। इसको बॉम्बे ब्लड इसलिए कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले यह बॉम्बे के कुछ लोगों में पाया गया था। इस ब्लड टाइप के भीतर पाई जाने वाली फेनोटाइप रिएक्शन के बाद यह पता चला कि इसमें एक एच एंटीजेन होता है। इससे पहले इसे कभी नहीं देखा गया था। अधिक समझने के लिए इनकी लाल कोशिकाओं (आरबीसी) में एबीएच एंटीजन होते हैं और उनकी सीरा में एंटी-ए, एंटी-बी और एंटी-एच होते है। एंटी-एच को अइड समूह में नहीं खोजा गया है, लेकिन प्रीट्रांसफ्यूजन टेस्ट में इसके बारे में पता चला है। यही एच एंटीजन एबीओ ब्लड समूह में बिल्डिंग ब्लॉक का काम करते है। एच एंटीजन की कमी बॉम्बे फेनोटाइप के रूप में जानी जाती है।

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