सहकारी समितियों के कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर बेमियादी हड़ताल पर — धान खरीदी पर मंडरा रहा संकट, शासन ने नही दी आंदोलन की मंजूरी, अपने हित के लिए संभाग स्तर पर लड़ रहे हैं लड़ाई, संघ के शक्ति जिला अध्यक्ष पुरुषोत्तम बरेठ ने कहा- सरकार के पास आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं


सहकारी समितियों के कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर बेमियादी हड़ताल पर — धान खरीदी पर मंडरा रहा संकट
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ती-राज्य में जहाँ एक ओर 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारियाँ जोरों पर हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर की सहकारी समितियों के हज़ारों कर्मचारी और धान खरीदी केंद्रों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं।सूत्रों के अनुसार, प्रदेश की लगभग 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी और 2729 कंप्यूटर ऑपरेटरों ने चार सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है।राज्य स्तरीय धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिलने के बाद संभाग के कर्मचारियों ने अपने-अपने संभाग में विरोध प्रदर्शन हड़ताल पर हैं । आंदोलन में बिलासपुर संभाग के सभी जिलों सक्ती, रायगढ़, कोरबा जांजगीर-चांपा मुंगेली, बिलासपुर बलौदा बाजार और अन्य जिलों से बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए।
संयुक्त आंदोलन समिति ने चेतावनी दी है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा और इसका सीधा असर आगामी धान खरीदी पर पड़ेगा।
आंदोलन रत कर्मचारियों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं
01- वर्ष 2023–24 और 2024–25 की धान खरीदी की तरह सुखत का प्रावधान हो
02- मध्य प्रदेश के तर्ज पर प्रबंधकिय 3 लाख अनुदान हो।
03- समितियों में कार्यरत कर्मचारियों का मानदेय और सेवा शर्तें नियमित कर स्थायीकरण।
04- छत्तीसगढ़ धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटरों का आउटसोर्सिंग समाप्त कर विभाग देते हुए नियतीकरण किया जाए।
हड़ताल से पड़ सकता है बड़ा असर
राशन वितरण कार्य प्रभावित
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया ठप
माइक्रो एटीएम और जनसेवा कार्यों पर रोक
किसानों को भुगतान में देरी की आशंका
कर्मचारियों की नाराज़गी का कारण
धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें लंबे समय से नियमितीकरण और मानदेय बढ़ाने की मांगों के बावजूद अनसुना किया जा रहा है। ऊपर से हाल ही में हुई सेवा में कटौती 12 माह वेतन भुगतान को 6 माह करने से नाराज़गी और बढ़ा दी है।
कंप्यूटर ऑपरेटर संघ सक्ती जिलाध्यक्ष पुरूषोत्तम बरेठ एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मिनाक्षी यादव ने बताया कि “हमने कई बार शासन से गुहार लगाई, पर आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। इस बार जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, हम पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो और उग्र आंदोलन के लिए विवश हो जाएंगे।”
संभावित प्रभाव
अगर हड़ताल जल्द नहीं सुलझी, तो धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। किसानों से लेकर उपभोक्ताओं तक इसका असर देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।


