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अग्रवाल समाज की केंद्र से बड़ी मांग-जनगणना के प्रपत्र में जाति चुनने अग्रवाल का भी विकल्प हो उपलब्ध, अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन ने जनगणना निदेशक को लिखा पत्र, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मित्तल ने कहा- जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी करेंगे मुलाकात

अग्रवाल समाज की केंद्र से बड़ी मांग-जनगणना के प्रपत्र में जाति चुनने अग्रवाल का भी विकल्प हो उपलब्ध, अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन ने जनगणना निदेशक को लिखा पत्र, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मित्तल ने कहा- जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी करेंगे मुलाकात kshititech

अग्रवाल समाज की केंद्र से बड़ी मांग-जनगणना के प्रपत्र में जाति चुनने अग्रवाल का भी विकल हो उपलब्ध, अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन ने जनगणना निदेशक को लिखा पत्र, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मित्तल ने कहा- जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी करेंगे मुलाकात

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ती- आगामी दिनों में पूरे देश भर में होने वाली जनगणना को लेकर जहां जोर-शोर से तैयारी चल रही है, तो वहीं सूत्रों की माने तो भारत में जनगणना प्रत्येक 10 सालों में एक बार होती है, तथा बीते साल 2011 में हुई जनगणना के बाद 2020-21 में जनगणना का कार्य होना था, किंतु भारत देश में कोरोना के संक्रमण काल के चलते यह जनगणना का कार्य नहीं हो पाया तथा अब फिर से 2025 में यह जनगणना का कार्य प्रारंभ होगा, ऐसा सूत्र बताते हैं, तथा इस जनगणना के कार्य में पूरे देश भर में अग्रवाल समाज ने भी जाति शब्द में अग्रवाल का विकल्प प्रपत्र में उपलब्ध होने को लेकर इसकी पुरजोर मांग की है, एवं अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल कोलकाता ने कहा है कि यदि अग्रवाल समाज की इस मांग पर जरूरत पड़ेगी तो प्रतिनिधि मंडल दिल्ली जाकर भारत के महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री जी से भी प्रत्यक्ष मुलाकात कर उन्हें इन सभी बातों से अवगत कराएगा

*अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन (पंजी) REGISTERED UNDER SOCIETIES ACT VIDE NO IV 1903-00769/2019 DT 01/02/2019) केंद्रीय मुख्यालय १८, राजेन्द्रनाथ मुखर्जी रोड, दूसरा मंजिल, कोलकाता-७००००१ (पश्चिम बंगाल) PHONE: (033) 4007 5544, Email: aa.sammelan@gmail.com Website: www.aasammelan.com PAN No: AAHTA1886D द्वारा अपने पत्र क: 157/AAS/2025-26 दिनांक 03 जुलाई 2025 के माध्यम से भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, जनगणना भवन, २-ए, मानसिंग मार्ग, नई दिल्ली-110011 को अग्रवाल जाति” को आगामी जनगणना / जातीय जनगणना में पृथक रूप से दर्ज करने हेतु वैधानिक मांग की गई है,एवम सन्दर्भ- भारत सरकार द्वारा आगामी जाति आधारित जनगणना की घोषणा को लेकर यह पत्र प्रेषित किया गया है, अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने अपने पत्र में कहा है कि भारत सरकार द्वारा आगामी जाति आधारित जनगणना की घोषणा से स्पष्ट है, कि आगामी जनगणना प्रक्रिया में सामाजिक, आर्थिक स्थिति के साथ ही जाति की जानकारी एकत्र करने की योजना है, जो कि स्वागत योग्य है, किंतु अग्रवाल समाज द्वारा आपसे मांग की जा रही है कि

01- अग्रवंश के इतिहास की सक्षिप्त जानकारी अनुसार महाराजा वल्लभ के घर, द्वापर के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में महाराजा श्री अग्रसेन जी का जन्म हुआ था. महाराजा श्री अग्रसेन जी ने आग्रेय राज्य (वर्तमान अग्रोहा) की स्थापना की और अपने राज्य में “एक रूपया एक ईंट जैसे समानता, समाजवाद, अंहिसा, सहकारिता, सहयोग एवं वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे आदशों को अपनाकर एक ऐसी पद्धति को जन्म दिया, जो शताब्दियां व्यतीत हो जाने पर आज भी अपनी श्रेष्ठता के कारण जानी जाती है.
02- देश विदेश में फैले सम्पूर्ण अग्रवाल जाति के लोग अनुमानित जनसंख्या लगभग चार करोड़, महाराजा श्री अग्रसेन जी को अपना पितृ-पुरुष मानते हैं. महाराजा श्री अग्रसेन जी ने अपने 18 पुत्रों के नाम पर, अग्रवाल कुल परम्पराओं के श्रेष्ठ निर्वहन के लिये 18 गोत्र आधारित अग्रवाल समाज की संरचना की यथा बंसल, गोयल, गर्ग, जिंदल, कंसल, मित्तल, सिंघल, बिंदल तायल, धारण, ऐरन, मधुकुल, गोयन, मंगल, नांगल, भंदल, कुच्छल एवं तिंगल
03- समस्त अग्रवाल महाराजा श्री अग्रसेन जी के वंशज होने से “अग्रवाल-जाति तथा परंपरागत रूप से व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य में संलग्न होने से “वैश्य-वर्ण” के अंतर्गत आते हैं. इसीलिए पूर्व की जनगणनाओं में “अग्रवाल” समाज को “वैश्य”, “बनिया” या “मारवाड़ी” श्रेणियों में प्रदर्शित किया जाता रहा है, जिससे इस समाज की स्वतंत्र जातीय पहचान दबी रह गयी है। परिणाम स्वरूप, न तो अग्रवाल समाज की वास्तविक जनसंख्या और न ही उनकी आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति का समुचित आंकलन संभव हो पाया है।
04- भारत का संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। अन्य जातियों की भांति अग्रवाल समाज को भी सांख्यिकीय रूप से स्वतंत्र पहचान दिया जाना संवैधानिक न्याय के अनुरूप है। सरकार द्वारा पूर्व में जातीय डेटा संग्रह की योजना बनाना, यह प्रमाणित करता है कि जातीय पहचान को औपचारिक मान्यता दी जा रही है।
05- वर्तमान प्रशासनिक मान्यता महाराजा अग्रसेन के नाम पर राष्ट्रीय राजमार्ग, जलपोत, हवाई अड्डा व डाक टिकट आदि भारत सरकार द्वारा नामित किये गये हैं, जो अग्रसेन वंशजों (अग्रवाल जाति) की राष्ट्र स्तरीय पहचान को पुष्ट करते हैं।
06- “अग्रवाल” जाति के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए हमारी संस्था समस्त अग्रवाल बंधुओं की ओर से आग्रह पूर्वक पुरजोर मांग करती है, कि जनगणना प्रपत्रों में अग्रवाल जाति के लोगों को अपनी जातीय पहचानअग्रवाल” (AGRAWAL) के रूप में दर्ज करने का स्पष्ट और पृथक विकल्प प्रदान किया जाए, ताकि अग्रवाल समाज की वास्तविक जनसंख्या का निर्धारण हो सके। समाज की आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति के आँकड़े स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हो सकें। समाज के लिए आवश्यक नीतिगत योजनाएं एवं सहायता कार्यक्रम तैयार हो सकें।
07- निष्कर्षतः यह मांग केवल एक सामाजिक पहचान की नहीं, बल्कि जनगणना जैसे संवैधानिक प्रक्रिया में समान प्रतिनिधित्व और समुचित स्थान की मांग है। अतः हम भारत सरकार एवं आपके कार्यालय से निम्नलिखित मांग करते हैं, की आगामी जनगणना के प्रपत्र में “अग्रवाल” जाति को पृथक रूप में सम्मिलित किया जाये,एवम नागरिकों को जाति दर्ज करते समय “अग्रवाल” विकल्प चुनने का स्पष्ट अधिकार दिया जाए,सांख्यिकीय विश्लेषण में अग्रवाल समाज के आंकड़ों को स्वतंत्र श्रेणी में दर्शाया जाए,इस विषय में की गई प्रशासनिक कार्यवाही से हमें अवगत कराया जाए

अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन द्वारा प्रेषित उपरोक्त पत्र की प्रतिलिपि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी,भारत की महामहिम राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली-110001 2,माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी,प्रधानमंत्री, भारत सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली 110011,माननीय श्री अमित शाह जी,गृहमंत्री, भारत सरकार, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली – 110001, माननीय श्री ओम बिरला जी,लोकसभा अध्यक्ष, संसद भवन, नई दिल्ली – 110001,माननीया श्रीमती रेखा गुप्ता जी 5 दिल्ली मुख्यमंत्री, दिल्ली सचिवालय, आईपी इस्टेट, नई दिल्ली 1100016 को भी प्रेषित की गई है

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