राज्य उपभोक्ता परिषद के सदस्यों को मिला उच्च न्यायालय से स्थगन,सत्ता बदलते ही शासन ने कर दी थी सभी नियुक्तियां रद्द
सक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति-छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के उद्योग व कृषि प्रतिनिधि के द्वारा असंवैधानिक तरीके से पदमुक्त किए जाने के मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बैंच ने उद्योग प्रतिनिधि सुभाष गोयल व कृषि प्रतिनिधि अभिषेक सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए पद पर यथावत बने रहने के लिए स्थगन जारी किया है
इस मामले में परिषद के सदस्य व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुभाष गोयल ने बताया कि 19 अप्रैल 2023 को उन्हें राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य के रूप में नामांकित किया गया था। उसके पश्चात राज्य में सत्ता परिवर्तन के उपरांत राज्य सरकार ने सभी राजनीतिक नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। जबकि याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि उनकी नियुक्ति छत्तीसगढ़ उपभोक्ता संरक्षण के नियम के प्रावधानों के तहत पांच वर्ष के लिए है। इसलिए राज्य सरकार की समस्त अध्यक्षों व सदस्यों को हटाये जाने की जारी अधिसूचना के दायरे में वे नहीं आते हैं। इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय पहुंचे उद्योग प्रतिनिधि सुरेश गोयल व कृषि प्रतिनिधि अभिषेक सिंह के मामले में न्यायालय ने स्थगन जारी करते हुए अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता को परेशान नहीं किए जाने के निर्देश दिए और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। इस मामले में सदस्यों ने खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव को भी स्थगन की जानकारी प्रदान करते हुए सदस्यता बहाली के संदर्भ में विभागों को सूचित व आदेशित करने का अनुरोध किया है। बता दें कि राज्य सरकार ने खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के तहत राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद का प्रदेश में पहली बार गठन किया था। इसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी के 15 सालों के कार्यकाल में तकनीकी कारणों के कारण परिषद का गठन नहीं हो सका था। तात्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की पहल पर कृषि व्यापार व उद्योग प्रतिनिधियों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता व उद्योगपति सुभाष गोयल बिश्रामपुर को उद्योग प्रतिनिधि के रूप में नामांकित किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उक्त सूची का अनुमोदन किया गया था, जिसमें सात अशासकीय सदस्य शामिल किए गये थे। ये सदस्य परिषद के कार्यों के संचालन के साथ उपभोक्ता संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए नामांकित हुए थे। उपभोक्ता संरक्षण परिषद, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, वाणिज्य, कृषि, समाज कल्याण, विद्युत, बीमा, लीड बैंक, दूर संचार के साथ व्यापारिक संगठनों में सीधे हस्तक्षेप करता है