



चंद महीनों में ही साय का हुआ कांग्रेस से मोहभंग, साय ने लिखा प्रदेश अध्यक्ष को पत्र, कहा कि किन्हीं स्थितियों के कारण ली थी कांग्रेस की सदस्यता, किंतु अब किन्हीं परिस्थितियों के कारण छोड़ रहा हूं कांग्रेस, प्राथमिक सदस्यता से दे दिया इस्तीफा
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
.सक्ति- एक समय भारतीय जनता पार्टी के अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से दिग्गज नेता रहे एवं राज्यसभा सांसद सहित केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष का दायित्व संभालने वाले नंदकुमार साय को तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के समय भाजपा से ऐसा क्या मोह भंग हुआ कि उन्होंने ठीक विधानसभा चुनाव के पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया, तथा कांग्रेस ने भी प्रदेश के इस दिग्गज आदिवासी नेता को तत्काल गोद में बैठाकर उसे कांग्रेस की सदस्यता दे दी एवं उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश में सीएसआईडीसी जैसे महत्वपूर्ण मलाईदार विभाग का अध्यक्ष भी बना दिया
किंतु विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद कांग्रेस पार्टी के पक्ष में जनादेश ना आ पाने के कारण नंदकुमार साय ने कांग्रेस छोड़ना ही उचित समझा तथा उन्होंने 20 दिसंबर को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज को एक पत्र प्रेषित कर कहा कि मैंने कुछ समय पूर्व किन्हीं स्थितियों के कारण कांग्रेस की सदस्यता ली थी किंतु अब किन्हीं परिस्थितियों के कारण मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूं, एवं कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आखिरकार नंदकुमार साय के सामने भाजपा में रहते हुए ऐसी कौन सी स्थितियां उत्पन्न हुई कि उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा तथा अब कांग्रेस की सरकार जाने के बाद ऐसी कौन सी परिस्थितिया सामने आ गई कि उन्होंने कांग्रेस ही छोड़ दी, तो आखिरकार अब नंदकुमार राय जाएंगे कहां, क्या वे राजनीतिक संन्यास लेंगे या की फिर से भारतीय जनता पार्टी में अपनी घर वापसी करेंगे, इस बात को लेकर राजनीतिक हल्को में जोरों से चर्चा चल रही है
किंतु यह बात तो स्पष्ट है की राजनीति में दल बदल करने वालों को जनता जरूर करारा जवाब देती है,पूर्व में भी भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता रही एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की भतीजी एवं जांजगीर लोकसभा क्षेत्र की सांसद रही स्वर्गीय श्रीमती करुणा शुक्ला ने भी तत्कालीन डॉ रमन सिंह की सरकार में भाजपा छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामा था तथा वे भले ही कांग्रेस पार्टी में चली गई किंतु कांग्रेस पार्टी में कहीं ना कहीं वे अपने आप को अर्जेस्ट नहीं कर पाई तथा भूपेश बघेल की सरकार ने उन्हें सत्ता का पद भी दिया किंतु कहीं न कहीं उन्हें अपने परिवार को छोड़कर जाने की कमी हमेशा खलती रही