संस्कार पब्लिक स्कूल की अनुकरणीय पहल- लौह पुरुष की 150वीं जयंती पर एकता का आह्वान- संस्कार पब्लिक स्कूल ने निकाला भव्य ‘यूनिटी मार्च,डड़ई से असोंदा तक गूंजे राष्ट्रप्रेम के नारे; विद्यार्थियों ने दिया राष्ट्र निर्माण का संदेश



संस्कार पब्लिक स्कूल की अनुकरणीय पहल- लौह पुरुष की 150वीं जयंती पर एकता का आह्वान- संस्कार पब्लिक स्कूल ने निकाला भव्य ‘यूनिटी मार्च,डड़ई से असोंदा तक गूंजे राष्ट्रप्रेम के नारे; विद्यार्थियों ने दिया राष्ट्र निर्माण का संदेश
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ती- भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर, संस्कार पब्लिक स्कूल, सक्ती के विद्यार्थियों ने शनिवार, 8 नवंबर 2025 को एक विशाल और प्रेरणादायक ‘यूनिटी मार्च’ (एकता मार्च) का आयोजन किया। यह मार्च डड़ई से असोंदा तक निकाला गया, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में एकता, अखंडता और राष्ट्रप्रेम की भावना को सुदृढ़ करना था।विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अत्यंत उत्साह के साथ इस मार्च में भाग लिया। उनके देशभक्ति से ओत-प्रोत नारों ने पूरे मार्ग में राष्ट्रीय एकता के महत्व का संदेश दिया। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने सरदार पटेल के विराट जीवन, राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान और राष्ट्रीय एकता दिवस के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए मार्च के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने का सामूहिक संकल्प लिया।
स्कूल प्रबंधन ने सराहा अनुशासन
इस सफल आयोजन को विद्यालय के प्राचार्य श्री वी. के. मिश्रा के कुशल दिशा-निर्देश तथा मार्गदर्शन में संपन्न किया गया।प्राचार्य श्री मिश्रा ने विद्यार्थियों के उत्साह और उत्कृष्ट अनुशासन की सराहना करते हुए कहा,सरदार पटेल का जीवन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है। उनके दृढ़ विचारों पर चलकर ही हमें एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र का निर्माण करना चाहिए।रैली में विद्यालय के शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी भी देखने को मिली। शिक्षक श्री कोटेश्वर नाथ साहू, श्री रामकुमार टंडन, और शिक्षिकाएँ सुश्री कीर्ति बंजारे, सुश्री दीपिका यादव ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और उन्हें एकता के महत्व से परिचित कराया।संस्कार पब्लिक स्कूल, सक्ती द्वारा आयोजित यह ‘यूनिटी मार्च’ न केवल सरदार पटेल को एक सच्ची श्रद्धांजलि थी, बल्कि युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय मूल्यों और एकता की भावना को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था


