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साहित्य मधुशाला (मैसूर ) की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के बरसे होली के रंग, संस्थापक उषा केडिया ने किया कार्यक्रम का संचालन देश के विभिन्न शहरों से जुड़े साहित्यकार, देश की प्रतिष्ठित साहित्यकारों की संस्थाओं में पहचान बनाई है साहित्य मधुशाला ने, बेंगलुरु के साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ

साहित्य मधुशाला (मैसूर ) की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के बरसे होली के रंग, संस्थापक उषा केडिया ने किया कार्यक्रम का संचालन देश के विभिन्न शहरों से जुड़े साहित्यकार, देश की प्रतिष्ठित साहित्यकारों की संस्थाओं में पहचान बनाई है साहित्य मधुशाला ने, बेंगलुरु के साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ kshititech
साहित्य मधुशाला द्वारा संपन्न काव्य गोष्ठी
साहित्य मधुशाला (मैसूर ) की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के बरसे होली के रंग, संस्थापक उषा केडिया ने किया कार्यक्रम का संचालन देश के विभिन्न शहरों से जुड़े साहित्यकार, देश की प्रतिष्ठित साहित्यकारों की संस्थाओं में पहचान बनाई है साहित्य मधुशाला ने, बेंगलुरु के साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ kshititech
कर्नाटक राज्य के मैसूर की प्रतिष्ठित साहित्य मधुशाला
साहित्य मधुशाला (मैसूर ) की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के बरसे होली के रंग, संस्थापक उषा केडिया ने किया कार्यक्रम का संचालन देश के विभिन्न शहरों से जुड़े साहित्यकार, देश की प्रतिष्ठित साहित्यकारों की संस्थाओं में पहचान बनाई है साहित्य मधुशाला ने, बेंगलुरु के साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ kshititech
मैसूर के साहित्य मधुशाला की संस्थापक श्रीमती उषा केडिया

साहित्य मधुशाला (मैसूर ) की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के बरसे होली के रंग, संस्थापक उषा केडिया ने किया कार्यक्रम का संचालन देश के विभिन्न शहरों से जुड़े साहित्यकार

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- देश के कर्नाटक राज्य के मैसूर की जानी मानी संस्था साहित्य मधुशाला द्वारा 30 मार्च शनिवार 2024 को होली मिलन पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश विदेश के रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से मंच को रंगीन बना दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बैंगलुरु के जाने माने साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ‘राज’ ने दीप प्रज्वलन करके की । माँ सरस्वती की सुंदर वंदना जय माँ शारदे , संगीता चौधरी ने अपने कोकिल कंठ से की,कार्यक्रम का सुंदर संचालन संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती उषा जैन केडिया ने अपने चिर-परिचित अन्दाज़ में चार पंक्तियों के माध्यम से सबको बारी बारी से रचना प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित करके किया,कोलकाता से जुड़ी कवयित्री संगीता चौधरी ने ‘फाग रमाओ रे’ रचना के माध्यम से मंच को रंग दिया,कोलकाता से जुड़ी वरिष्ठ लेखिका हिम्मत चोरडिया ने ‘हमे पीला दी भंग ‘ रचना प्रस्तुत कर मंच को हास्यरंग से सराबोर कर दिया।मशहूर बाँसुरी वादक दिलीप गांधी ने अपनी रचना ‘तपती ये धरती’ के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश दिया।काठमाण्डू नेपाल के वरिष्ठ कवि जयप्रकाश अग्रवाल ने अपनी रचना के माध्यम से बताया ‘नहीं सिर्फ़ त्यौहार है होली’,भिलाई से जुड़े कवि हरिप्रकाश गुप्ता ने ‘आँखो से आँखो को देखा’ रचना की सुंदर प्रस्तुति दी।जमशेदपुर से जुड़ी लक्ष्मी सिंह रूबी ने अपनी रचना में कृष्ण को प्रीत का रंग लगाने बरसाने बुलाया।नागपुर की लेखिका मीरा रायकवार ने ‘ भुला ना पाई ‘ रचना की सुंदर प्रस्तुति दी। खरसिया की लेखिका अनामिका अग्रवाल ने स्त्री के जीवन को अपनी रचना’ क्या खोया क्या पाया’ के द्वारा अभिव्यक्त किया। बैंगलुरु से जुड़ी लेखिका दीपिका मिश्रा ने ‘होली खेलन पिया संग आयी’ रचना द्वारा अपनी व्यथा को प्रकट किया। बैंगलुरु के मशहूर युवा लेखक आनंद दाधीच ने ‘ फूलो से झूम रहे डाल’ रचना से मंच पर गुलाल उड़ा दिया। टाटानगर के कवि प्रमोद खीरवाल ने ‘आज दोस्तों की महफ़िल सजी’ रचना की प्रस्तुति दी। कोलकाता की ग़ज़लकारा ऊषा जैन ‘उर्वशी’ ने हरियाणवी में ‘मेरा घना कालजा धड़क स’ गीत सुना मंच को मोह लिया। चेन्नई के वरिष्ठ गीतकार नैनमल जैन ने अपने गीत की सुंदर प्रस्तुति दी।बैंगलोर के जाने माने कवि व कार्यक्रम के अध्यक्ष जैन राजेंद्र गुलेच्छा राज ने’ चेहरा सजा कर रखते है ‘ रचना के द्वारा मुखौटा पहने लोगो पर तीखा व्यंग्य किया

संस्था कि अध्यक्ष एवं संचालिका उषा जैन केडिया ने ‘फीकी पड़ गई श्याम मोरी चुनरिया ‘ रचना के माध्यम जीवन के विभिन पहलुओं को दर्शाया,उसके बाद प्रस्तुतियों पर कार्यक्रम के अध्यक्ष जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने सभी रचनाओं की बहुत ही सुंदर समीक्षाएं की। संगीता चौधरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात गोष्ठी का विधिवत समापन हुआ।
ज्ञातव्य है कि इस साहित्य संस्था से अनेक जाने माने कवि रचनाकार जुड़े हुए हैं। इस संस्था में प्रति सप्ताह विषयोत्सव प्रतियोगिता होती है एवं प्रति मास काव्य गोष्ठी का सुंदर आयोजन होता रहता है

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