25 अगस्त को कथा का द्वितीय दिवस-जांजगीर की पितृ मोक्षार्थ श्रीमद् भागवत कथा में हजारों श्रद्धालु भक्तजन कर रहे कथा का श्रवण, झांझडिया परिवार ने किया है कथा का आयोजन


जांजगीर की पितृ मोक्षार्थ श्रीमद् भागवत कथा में हजारों श्रद्धालु भक्तजन कर रहे कथा का श्रवण, झांझडिया परिवार ने किया है कथा का आयोजन
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ती-नैला के अग्रसेन भवन के सामने चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस श्री धाम वृंदावन के प्रख्यात भागवत प्रवक्ता श्री हित ललित वल्लभ जी महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की विशेष कृपा है जिस वजह से आप भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं महाराज श्री ने कहा कि भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं कुछ सीखना चाहते हैं तो कथा में कथा के प्यासे बनकर आए अपने हृदय को रिक्त रखें तभी कथा हृदय पटल पर उतरेगी प्रभु तो सत्य और सर्वेश्वर हैं जो सृष्टि की रचना करते हैं पालन करते हैं और समय-समय पर संहार भी करते हैं,लेकिन आज मानव भगवान की भक्ति छोड़कर विषय वस्तु को भोगने में लगा है परंतु मानव जीवन का उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण की प्राप्ति होना चाहिए । आगे बताया कि जब द्रोपति का चीर दुशासन ने खींचा तब द्रोपति ने अपने बल बुद्धि से अपने आप को बचाने की बहुत कोशिश की अंत में भगवान श्री कृष्ण को याद किया तब भगवान श्री कृष्ण वस्त्र अवतार लेकर प्रकट हो गए और द्रोपदी की लाज बचाई, आगे बताया पांडवों का स्वर्गारोहण व परीक्षित जन्म की कथा श्रवण कराते हुए बताया की परीक्षित का राज्य अभिषेक होने के बाद एक दिन परीक्षित ने अपने कोष से एक मुकुट मंगवा कर अपने मस्तक पर धारण किया वह मुकुट जरासंध का था पाप की कमाई मैं कलयुग का वास है इस मुकुट के कारण धर्म श्रेष्ठ राजा परीक्षित के मन में शिकार करने की इच्छा प्रगट हुई और वह शिकार करने वन में चले गए काफी दूर पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी वह समीक मुनि के आश्रम में गए समिक मुनि ध्यान मग्न थे जिससे वह राजा का सत्कार नहीं कर पाए जिस कारण राजा परीक्षित ने क्रोधित हो उनके गले में एक मृत सर्प को डाल दिया शमीक मुनि के बालक श्रृंगी को जब पता चला तो उसने श्राप दे दिया की जिसने मेरे पिता के गले में सर्प डाला है आज से सातवें दिन तक्षक सर्प के डसने से उसकी मृत्यु हो जाएगी ,प्रसंग आगे बढ़ाते हुए महाराज जी ने श्री सुखदेव जी के जन्म की कथा श्रवण कराई। झाझरिया परिवार ने श्रद्धालु श्रोताओं से कथा सुनने का अनुरोध किया कथा का समय 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक रहेगा


