हे वीणा वादिनी,ज्ञान दायिनी- मां सरस्वती की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति के साथ ही असीम कृपा की होती है प्राप्ति-उषा केडिया मैसूर,साहित्य मधुशाला की संस्थापक उषा केडिया ने बसंत पंचमी पर वीणा वादिनी, ज्ञान दायिनी के समक्ष अपनी पंक्तियों के माध्यम से प्रस्तुत की वंदना




मां सरस्वती की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति के साथ ही असीम कृपा की होती है प्राप्ति-उषा केडिया मैसूर,साहित्य मधुशाला की संस्थापक उषा केडिया ने बसंत पंचमी पर वीणा वादिनी, ज्ञान दायिनी के समक्ष अपनी पंक्तियों के माध्यम से प्रस्तुत की वंदना
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- देश के कर्नाटक राज्य की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य मधुशाला की संस्थापक,अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन की राष्ट्रीय संयोजक, तथा क्रिएटिविटी कैफे की डायरेक्टर श्रीमती उषा केडिया ने 14 फरवरी को बसंत पंचमी के पावन पर्व पर वीणा वादिनी मां सरस्वती के श्री चरणों में अपनी पंक्तियों एवं वंदना के माध्यम से नमन करते हुए कहा है कि बसंत पंचमी- सरस्वती पूजन का यह पावन पर्व हम सभी के लिए गौरवशाली है, श्रीमती उषा केडिया कहती हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह पर्व आज 14 फरवरी के दिन पड़ रहा है. इस दिन से ऋतुराज बसंत की शुरुआत हो जाती है. बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था.बसंत पंचमी का पौराणिक महत्वऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन, षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है
श्रीमती उषा केडिया ने बताया कि वीणा वादिनी मां सरस्वती की बसंत पंचमी के पावन पर्व पर हम सभी सुबह उठकर शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें,अग्र भाग मेंगणेश जी और पीछे वसंत स्थापित करें,नए धान्य से जौ, गेहूं आदि की बाली की पुंज को भरे कलश में डंठल सहित रखकर अबीर और पीले फूलों से वसंतबनाएं,तांबे के पात्र से दूर्वा से घर या मंदिर में चारों तरफ जल छिड़कें और मंत्र पढ़ें-प्रकर्तत्याःवसंतोज्ज्वलभूषणा नृत्यमाना शुभा देवीसमस्ताभरणैर्युता,वीणा वादनशीला च यदकर्पूरचार्चिता।
प्रणे देवीसरस्वती वाजोभिर्वजिनीवतीश्रीनामणित्रयवतु।पूर्वा या उत्तर की ओर मुंह किए बैठकर मां को पीले पुष्पों की माला पहनाकर पूजन करें गणेश, सूर्य, विष्णु, रति-कामदेव, शिव और सरस्वती की पूजा का विधान भी है
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का काफी महत्व है,हिंदू परंपरा के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को, बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है,पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का सृजन किया था. इसलिए यही वजह है कि इस दिन सभी सनातन अनुयायी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से, शुभ फल तो मिलते ही हैं, साथ ही उस व्यक्ति को मां सरस्वती की असीम कृपा भी प्राप्त होती है,बसंत पंचमी को लेकर एक और भी पौराणिक महत्व सुनने को मिलता है जिसके अनुसार इस दिन यदि कोई भी व्यक्ति सच्चे दिल से धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु की पूजा करता है तो, उसे हर प्रकार की आर्थिक तंगी से निजात मिल जाता है. हालांकि देवीलक्ष्मी और भगवान विष्णु की ये पूजा भी मुख्य रूप से, पंचोपचार एवं षोडशोपचार विधि से ही होनी अनिवार्य होती है
शारदा स्तुति
झंकृत हो जाये मन के तार ऐसी वीणा बजा दो माँ । अलंकृत हो जाये मन के भाव ऐसा स्वर सजा दो माँ ॥
हे वीणा वादिनी ज्ञान प्रदायिनी माँ, मिथ्या तिमिर मिटा ज्ञान दीप जला दो माँ।
कमल सिंहासन आरूढ़ हे श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, कलुषिता हटा कर मन को निर्मल कर दो माँ।
तुम हो हंस वाहिनी कर पुस्तक धारिणी माँ, नीर-क्षीर अलग कर पाये ऐसा विवेक जगा दो माँ ॥
तुम कमल नयर निवासिनी चन्द्रमुख वदनी माँ, पखारूँ तेरे पद पंकज ऐसे अश्रु दे दो माँ।
जड़ को चेतन करने वाली हे ब्रह्मा पुत्री माँ, गुण गा गाकर तुम्हें रिझाऊ कंठ ऐसा दे दो माँ।
उषा जैन केडिया (मैसूर) कर्नाटक