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शक्ति जिले में पराली ना जलाये किसान, सूचना मिलने पर की जाएगी कार्रवाई, ₹30000 रुपये तक है जुर्माने का प्रावधान,कृषि विभाग ने करी किसानों से अपील, उप संचालक कृषि ने कहा- पराली को गौशालाओं को करें दान

शक्ति जिले में पराली ना जलाये किसान, सूचना मिलने पर की जाएगी कार्रवाई, ₹30000 रुपये तक है जुर्माने का प्रावधान,कृषि विभाग ने करी किसानों से अपील, उप संचालक कृषि ने कहा- पराली को गौशालाओं को करें दान kshititech
फाइल फोटो एक नजर में

शक्ति जिले में पराली ना जलाये किसान, सूचना मिलने पर की जाएगी कार्रवाई, ₹30000 रुपये तक है जुर्माने का प्रावधान,कृषि विभाग ने करी किसानों से अपील

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- उपसंचालक कृषि जिला शक्ति ने जिले के किसानों को पराली नहीं जलाने की अपील की है, तथा उप संचालक ने कहा है कि पराली जलाने की सूचना मिलने पर ₹5000 से ₹30000 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है,पराली को खेत में दबाना, वेस्ट डी कम्पोजर का प्रयोग, बेलर मशीन का उपयोग रबी वर्ष 2025-26 की तैयारी हेतु किसानों को दी जा रही सलाह दी गई है, सक्ती एक कृषि प्रधान जिला है। जिले की 85 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या कृषि कार्य पर निर्भर है।खरीफ के कुल रकबा 1.16 लाख हेक्टेयर में से 1.13 लाख हेक्टेयर में धान की फसल ली जाती है तथा कुल 0.29 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती की जाती है। अतः रबी फसलों की तैयारी हेतु खरीफ फसल कटाई के बाद खेतों में बची हुई पराली को जलाने की परम्परा हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य तथा भूमि की उर्वरता के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे सांस, आँख एवं त्वचा से संबंधित गंभीर बितारियां फैलती हैं इसके साथ ही मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और अगली फसल की उत्पादकता प्रभावित होती है।

उप संचालक कृषि शक्ति ने कहा है कि आप पराली जलाने से परहेज करें तथा सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए वैकप्लिक उपायों को अपनाएं जैसे- पराली को खेत में दबानाः मिट्टी पलटने वाले हल का उपयोग कर पराली को खेत में ही दबाया जा सकता है, जिससे वह खाद बन जाती है,वेस्ट डी-कंपोजर का प्रयोगः पराली को सड़ाने के लिए वेस्ट डी कंपोजर का उपयोग किया जा सकता है,जिससे यह खाद में बदल जाती है,मशीनों का उपयोगः उन्नत कृषि यंत्र (जैसे-हैप्पी सीडर, सुपर सीडर तथा बेलर मशीन) उपकरण पराली को हटाकर बुवाई भी कर सकते हैं और उससे जमीन के नीचे दबा भी सकते हैं,अन्य उपयोगः पराली को गोशालाओं को दान किया जा सकता है या बायो गैस, फर्मल प्लांट में इस्तेमाल के लिए एग्रीगेटर्स को बेचा जा सकता है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के द्वारा भी यह अनुशंसा की गई है कृषक “जलाने” की जगह इन-सिटू (मिट्टी में मिला देना) तथा एक्स-सिटू (बाहर लेकर जाना/ उपयोग करना) तरीकों को अपनाए और उपलब्ध मशीनरी तथा जैव-उत्पादों का प्रयोग करें

सरकार द्वारा पराली प्रबंधन हेतु विभिन्न अनुदान योजनाएं चलाई जा रही हैं। कृप्या इन योजनाओं का लाभ उठाएं और पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आइए, हमस ब मिलकर स्वच्छ हवा, उपजाउ भूमि और स्व्स्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं।पराली जलाने पर जुर्माना की भी प्रावधान है, यह जुर्माना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT)अधिनियमों के तहत 5000 रु. से 30000 रु. तक जुर्माना का प्रावधान है।”आपका सहयोग जिले के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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