शक्ति के सरस्वती शिशु मंदिर में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर किया गया कार्यक्रम का आयोजन, व्यवस्थापक मांगेराम अग्रवाल ने कहा- वंदे मातरम के 150 वर्ष हम सबके लिए गौरवशाली, वंदे मातरम वह गीत है जिसके गायन से रग रग में जागृत होती है देश प्रेम की भावना




शक्ति के सरस्वती शिशु मंदिर में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर किया गया कार्यक्रम का आयोजन, व्यवस्थापक मांगेराम अग्रवाल ने कहा- वंदे मातरम के 150 वर्ष हम सबके लिए गौरवशाली
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- शक्ति शहर के सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 7 नवंबर को वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्यालय प्रबंधन समिति की व्यवस्थापक मांगेराम अग्रवाल प्रमुख रूप से मौजूद थे, भारत माता की पूजा अर्चना के साथ ही वंदे मातरम गीत एवं राष्ट्रगान की प्रस्तुति की गई तथा इस दौरान व्यवस्थापक मांगेराम अग्रवाल ने कहा कि आज पूरे भारत देश भारतीयों के लिए यह गौरवशाली दिन है, कि वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे है, तथा इस अवसर पर आज पूरे देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है तथा मैं भी विद्यालय परिवार की ओर से आप सभी को बधाई शुभकामनाएं देता हूं, इस अवसर पर प्रमुख रूप से विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य बजरंग लाल अग्रवाल, प्राचार्य पुरण गिरी गोस्वामी, प्रधानाचार्य बलदाऊ प्रसाद साहू,बिहारी लाल राठौर,सहित काफी संख्या में विद्यालय के शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं विद्यार्थी मौजूद रहे
राष्ट्रीय गीत-वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्। सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्, शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम् ।।1।।
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्, फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्, सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्, सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।।2।।
कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले, कोटि-कोटि भुजैर्धेत खरकरवाले, के वॉले माँ तुमि अवले, बहुवलधारिणीं नमामि तारिणीम्, रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।३।।
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि हृदि तुमि मर्म, त्वम् हि प्राणाः शरीरे, बाहुते तुमि माँ शक्ति, हृदये तुमि माँ भक्ति, तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे।
वन्दे मातरम्।।4।।
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी, कमला कमलदलविहारिणी, वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्, नमामि कमलाम्, अमलाम् अतुलाम्, सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।5।।
श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्, धरणीम् भरणीम् मातरम्। वन्दे मातरम्।।6।।






