सत्ता बदलते ही सही नीतियों का क्रियान्वयन ना होने से राइस मिल संचालकों को हो रही परेशानियां-नई नीति से सरकार एवं मिलर्स के बीच समझौते के बावजूद प्रदेश के कई जिलों के मिलर्स में नाराजगी,मिलर्स कह रहे- शासन तकनीकी रूप से फंसे पेंचों को करे दूर, तभी हो पाएगी मिलिंग
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- छत्तीसगढ़ प्रदेश में साल 2023 में सत्ता परिवर्तन होते ही भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश की विष्णु देव सरकार ने पूरे प्रदेश में सुशासन वाली सरकार के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया, किंतु सरकार के सत्तासीन होते ही चंद महीनों बाद ही सरकार ने कैबिनेट की बैठक आहूत कर नई कस्टम मिलिंग को हरी झंडी दी, तथा नई कस्टम मिलिंग के प्रदेश में लागू होते ही हजारों की संख्या में प्रदेश में स्थापित राइस मिले मिलो ने इस नई कस्टम बिलिंग पर अपनी असहमति जताते हुए इसे अनुचित बताया तथा इसमें संशोधन की मांग की, तथा संशोधन की मांग के साथ ही प्रदेश स्तर पर चावल उद्योग संघ ने राज्य सरकार को ज्ञापन प्रेषित कर नए सत्र में धान का उठाव नहीं करने, अनुबंध नहीं करने,बारदाना नहीं देने तक की चेतावनी दे डाली,तथा नवंबर माह ने सरकार की धान खरीदी प्रारंभ हुई एवं धान खरीदी प्रारंभ होते ही जब राइस मिल संचालकों ने समितियो से धान उठाव नहीं किया, तो सरकार ने धान को संग्रहण केंद्र में रखने का निर्णय ले लिया, किंतु संग्रहण केंद्र में रखा हुआ धान भी कितने दिनों तक सरकार सुरक्षित रख पाएगी, इसे लेकर अधिकारियों में चिंता की लकीरें रही तथा अंततः राज्य सरकार ने एन केन प्रकारेण राइस मिल संचालकों एवं संघ पर अपना दबाव बनाना प्रारंभ किया तथा जिसके चलते अंततः राइस मिल संचालकों ने भी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की मध्यस्थता से 7 दिसंबर को उनके निवास में आयोजित एक बैठक में अपनी पूर्व में दी गई मांगों पर आने वाले दिनों में संशोधन किए जाने का आश्वासन मिलने पर चालू सत्र में धान खरीदी के कार्य में सहयोग करने की स्वीकृति दे दी,वहीं प्रदेश संगठन ने तो अपनी स्वीकृति दे दी, किंतु अनेकों जिलों में आज भी राइस मिल संचालक तकनीकी कमियों के चलते नाराज देखे जा रहे हैं
एवं राइस मिल संचालकों का कहना है कि अनेको जिलों में राइस मिलर्स बिना भुगतान एवं पुरानी बैंक गारंटी वर्ष 2023- 24 की 1500/-रुपये की दर से रिलीज किए जाने से पहले नया कार्य करने की स्थिति में नहीं है, तथा शासन को तत्काल इस संबंध में पहले पहल करनी चाहिए तभी राइस मिल संचालक काम कर पाएंगे, प्रदेश के राइस मिल संचालकों का यह भी कहना है कि जब कस्टम मिलिंग की पुरानी नीति राज्य शासन के लिए भी उपयुक्त थी, तथा राइस मिलर्स भी इस नीति में अपना सहयोग दे रहे थे, तो फिर आखिरकार इस नीति में बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी, आखिरकार कहीं ना कहीं शासन पूरे प्रदेश में राइस मिलों के लिए वर्षों से चले आ रहे एक स्वच्छ वातावरण को संशोधित कर नई परेशानियां खड़ी करना चाहती है, तथा राइस मिल संचालकों को सरकार परेशानियों में डालकर अपनी कौन सी मंशा पूरी करना चाहती है, यह तो समझ से परे है, किंतु आज छत्तीसगढ़ प्रदेश में राइस मिल संचालकों के सहयोग के चलते राज्य सरकार की धान खरीदी का काम एवं प्रदेश के धान को व्यवस्थित ढंग से समितियो से उठाकर मिलिंग करना एवं मिलिंग के बाद उसे प्रोसेस के तहत प्रक्रिया में लाने के काम में राइस मिल संचालकों ने अपना जी जान एक कर दिया, तथा छत्तीसगढ़ की इस व्यवस्था की प्रशंसा पूरे देश के अनेकों राज्यों में होती है, किंतु इसके बावजूद सरकार राइस मिल संचालकों को और अच्छा वातावरण देने की बजाय कहीं ना कहीं उनके लिए नई परेशानियां खड़ी कर रही है