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आदि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले शक्ति के कैलाश अग्रवाल, कैलाश मानसरोवर की सर्वाधिक यात्रा का पुण्य प्राप्त किया है कैलाश ने, 4 जून से प्रारंभ होगी आदि कैलाश की यात्रा, प्रत्येक वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने का जनून रखते हैं शक्ति के कैलाश

आदि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले शक्ति के कैलाश अग्रवाल, कैलाश मानसरोवर की सर्वाधिक यात्रा का पुण्य प्राप्त किया है कैलाश ने, 4 जून से प्रारंभ होगी आदि कैलाश की यात्रा, प्रत्येक वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने का जनून रखते हैं शक्ति के कैलाश kshititech
विगत वर्षों में शक्ति के कैलाश चंद्र अग्रवाल ने करी कैलाश मानसरोवर की सफल यात्रा
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कैलाश मानसरोवर की दुर्गम कठिन यात्रा
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कैलाश मानसरोवर की दुर्गम कठिन यात्रा

आदि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले शक्ति के कैलाश अग्रवाल, कैलाश मानसरोवर की सर्वाधिक यात्रा का पुण्य प्राप्त किया है कैलाश ने, 4 जून से प्रारंभ होगी आदि कैलाश की यात्रा

शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर

सक्ति- शक्ति शहर के वार्ड क्रमांक- 04 कोरबा रोड बंधवा तालाब के नीचे स्थित प्रतिष्ठित व्यवसायी कैलाश चंद अग्रवाल ने कैलाश मानसरोवर की अब तक की क्षेत्र से सर्वाधिक यात्राएं कर एक गौरव हासिल किया है, साल 2019 में चीन द्वारा कैलाश मानसरोवर की यात्रा हेतु अनुमति पर प्रतिबंध लगा दिए जाने के कारण यह यात्रा बंद है, किंतु साल 2024 में कल 04 जून से आदि कैलाश की ओम पर्वत यात्रा प्रारंभ हो रही है, तथा इस आदि कैलाश की यात्रा में भी देश भर से हजारों की संख्या में लोग पहुंचेंगे तो वही शक्ति शहर के कैलाश चंद्र अग्रवाल भी की आदि कैलाश की यात्रा में जाने के लिए शहर से निकल पड़े हैं, एवं 4 जून से यह यात्रा प्रारंभ होगी, इससे पूर्व शक्ति के कैलाश चंद्र अग्रवाल ने साल 2016, 2017 एवं 2019 में कैलाश मानसरोवर की सीधी यात्रा की है

आदि कैलाश उत्तराखंड की सबसे पवित्र पर्वत चोटियों में से एक है। यह पर्वत शिखर इतना पवित्र है कि इसे भारत का कैलाश पर्वत माना जाता है। आदि कैलाश को इसके दूसरे नाम से भी पुकारा जाता है और वह है छोटा कैलाश, जिसका अर्थ है ‘छोटा कैलाश’। यह पर्वत शिखर पंच कैलाश पर्वत चोटियों में से एक है। यह तिब्बत में कैलाश पर्वत के बाद दूसरी सबसे पवित्र पर्वत चोटी भी है। तीर्थयात्रियों की इस पवित्र पर्वत के प्रति गहरी श्रद्धा है और वे इसके अत्यधिक धार्मिक महत्व के लिए इसका सम्मान करते हैं।

क्या है आदि कैलाश जी की यात्रा- आदि कैलाश के बारे में पौराणिक कथा

आदि कैलाश के पौराणिक संबंध ने इसे उत्तराखंड की सबसे पवित्र पर्वत चोटियों में स्थान दिया है। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने पार्वती से विवाह करने के लिए रास्ते में आदि कैलाश में रुके थे। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव, उनकी पत्नी पार्वती, और उनके दो पुत्र गणेश और कार्तिकेय, उनके हजारों अनुयायियों के साथ पहाड़ पर रहते हैं। यद्यपि आप उन्हें उनके भौतिक रूप में नहीं देख सकते हैं, वे यहाँ अपने सूक्ष्म दिव्य रूप में निवास करते हैं। इस अर्थ में आदि कैलाश पर्वत शिखर उनका पार्थिव धाम है और यह कहीं और नहीं, अपितु देवभूमि उत्तराखंड में ही स्थित है

कैसे होगा 4 जून से होने वाली यात्राओं का पड़ाव

आदि कैलाश की यात्रा करने के निकले शक्ति के कैलाश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि आदि कैलाश/ओम पर्वत यात्रा 04/06/2024 से प्रारंभ होंगी, जो कि पहला दिन-हल्द्वानी, भीमताल। (रात्रि विश्राम),दूसरा दिन 2-पिथौरागढ़ (रात्रि प्रवास) दर्शनीय स्थल – कैची धाम, चेतई गोलू, जागेश्वर धाम,तीसरा दिन 3- गुंजी या नेपालचू (रात्रि प्रवास) दर्शनीय स्थल – ठाकरी झरना,चौथा दिन- आदि कैलाश फिर गुंजी या नपालचू लौट आएं। (रात्रि विश्राम)। दर्शनीय स्थल – पांडव किला, भारमा पर्वत गणेश पर्वत, पार्वती मुकुट, पांडव पर्वत, पार्वती कुंड, भीम की खेती, गौरी कुंड,पांचवा दिन 5- ओम पर्वत से चकोरी (रात्रि विश्राम) दर्शनीय स्थल – काली माता मंदिर, वेद व्यास गुफा, सासे नाग पर्वत, पार्वती नाबी, त्रिशूल पर्वत,एवम अंतिम छटवां दिन 6- चकोरी से भीमताल (रात्रि विश्राम) दर्शनीय स्थल – पाताल भुवनेश्वर पहुंचेगी

कहां जाता है कि पूरे विश्व में कैलाश मानसरोवर की यात्रा काफी दुर्गम यात्रा है, जिस पर बहुत ही बिरले लोग ही इस यात्रा पर जाते हैं, तथा यह धार्मिक यात्रा जहां काफी महंगी भी है,तो वहीं शासन भी इस यात्रा पर जाने वाले लोगों को सब्सिडी भी देता है, किंतु विगत वर्षों में चायना देश ने इस यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके चलते कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले लोगों की भावनाओं को जहां ठेस पहुंची है, तो वहीं कैलाश मानसरोवर चायना में ही स्थित है अतः बिना चायना की अनुमति के यह यात्रा हो पाना संभव नहीं है

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कैलाश मानसरोवर की दुर्गम कठिन यात्रा
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कैलाश मानसरोवर की दुर्गम कठिन यात्रा

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