नेता प्रतिपक्ष महंत की प्रतिष्ठा लगी दांव पर- क्या अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी बचा पाएंगे महंत, क्या 2019 जैसी रणनीति पर काम कर पाएगी कांग्रेस, 24 को होगा फैसला
शक्ति छत्तीसगढ़ से कन्हैया गोयल की खबर
सक्ति- छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा में चुनाव में जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने जांजगीर- चांपा लोकसभा क्षेत्र की आठो सीटों पर शानदार जीत दर्ज कर एक इतिहास रस दिया है, किंतु प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जहां भाजपा आक्रामक मुड़ में नजर आ रही है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी नगरीय निकायों में कांग्रेस समर्थित अध्यक्षों को हटाने लामबंद हो गई है,एवं नगर पालिका शक्ति के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर साल 2024 में पार्षदों से चुनकर आने वाले जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष त्रिलोकचंद जायसवाल दादू की धर्मपत्नी श्रीमती सुषमा जायसवाल काबिज है, जो कि वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के खास समर्थक माने जाते हैं, तथा राजनीतिक सूत्रों का यह भी कहना है कि आज कांग्रेस पार्टी के शक्ति जिला अध्यक्ष पद पर त्रिलोकचंद जायसवाल दादू को तत्कालीन छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ने ही यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिलवाई थी तथा त्रिलोकचंद जायसवाल दादू महंत के विश्वासपात्र माने जाते हैं
किंतु साल 2019 में नगर पालिका अध्यक्ष बनने के बाद श्रीमती सुषमा जायसवाल के कांग्रेस पार्टी के ही पार्षदों एवं अन्य पार्टियों के पार्षदों से सामंजस्य के आभाव में अंदर ही अंदर आक्रोश बनता चला गया, तथा 2020 में भी कांग्रेस पार्टी के ही कुछ पार्षदों ने अपनी ही पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा जायसवाल के खिलाफ अविश्वास लाने का प्रयास भी किया, जिसकी चर्चा जोरों से रही, किंतु कहीं न कहीं तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत के दबाव के चलते ये पार्षद हिम्मत नही जुटा पाए, किंतु अब प्रदेश में राजनीतिक परिस्थितिया बदलते ही कांग्रेस पार्टी के ही कुछ संतुष्ट पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों से मिलकर एक नई रणनीति तैयार करी है, ऐसा राजनीतिक सूत्रों का मानना है, तथा भाजपा के पांच पार्षदों ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में जाकर वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुषमा जायसवाल के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लगा दिया, जिस पर शक्ति कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना ने भी पहली बार इतिहास रचते हुए भाजपा पार्षदों के दिए गए आवेदन के चंद घंटे में ही आनन-फ़ानन में 24 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पर फैसले के लिए सम्मेलन बुला लिया एवं कुछ घंटे में ही नगर पालिका के सभी पार्षदों के घरों में उपरोक्त सम्मेलन की सूचना भी पहुंचा दी गई, तथा अब 24 जनवरी को होने वाले सम्मेलन को लेकर जहां पूरे क्षेत्र में यह चर्चा जोरों से है कि नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की श्रीमती सुषमा जायसवाल काबिज है एवं क्या वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तथा शक्ति से पुनः विधायक पद पर जीतने वाले डॉक्टर चरणदास महंत अपनी पार्टी के इस अध्यक्ष की कुर्सी को बचा पाएंगे, कहीं ना कहीं राजनीतिक रूप से देखा जाए तो महंत की भूमिका ही इस पूरे समीकरण को बैठाने में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि आज जिस तरह से जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र की आठो सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया है,तो कहीं ना कहीं विधानसभा अध्यक्ष महंत के ही पूरा प्रभाव वाला क्षेत्र यह माना जाता है एवं डॉ चरण दास महंत भी छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रचार प्रसार के प्रमुख भी थे
एवं अब शक्ति नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए क्या महंत अपनी ही पार्टी के असंतुष्ट पार्षदों को मना पाएंगे, इस बात को लेकर चर्चा जोरों से हैं, वहीं देखा जाए तो भाजपा की ओर से लगने वाले अविश्वास को लेकर जहां अंदर ही अंदर भारतीय जनता पार्टी भी रणनीति बनाने में जुटी हुई है, तो वहीं डभरा नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा को मिली करारी हार से भाजपा भी सदमे में है, एवं विगत वर्ष देखा जाए तो भाजपा के ही कुछ जनपद सदस्यों ने वर्तमान जनपद पंचायत शक्ति के कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष राजेश राठौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था जिसमें भाजपा ग्रामीण मंडल शक्ति के अध्यक्ष प्रेमलाल पटेल की सहमति से जनपद उपाध्यक्ष के पद पर काबिज उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ममता प्रेमलाल पटेल भी इस अविश्वास लगाने में शामिल बताई जा रही थी, किंतु जब अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ तो राजेश राठौर पुनः अध्यक्ष बने रहे, जिसमें भी कहीं ना कहीं असंतुष्ठ जनपद सदस्यों की कमजोर रणनीति के चलते हार का सामना करना पड़ा था
क्या यही स्थिति 24 जनवरी को सकती नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ होने वाले अविश्वास के मतदान में भी होगा, इस बात को लेकर राजनीतिक दल आशंकित है,किंतु राजनैतिक रूप से देखा जाए तो नगर पालिका शक्ति अध्यक्ष की कुर्सी कांग्रेस के लिए काफी प्रतिष्ठा पूर्ण है,अगर कांग्रेस 24 जनवरी को अपने अध्यक्ष को नहीं बचा पाएगी तो कहीं ना कहीं कांग्रेस को आने वाले 5 सालों में शक्ति में राजनैतिक दृष्टिकोण से काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, आने वाले महीनो में फिर से प्रदेश में पंचायत, नगरीय निकाय एवं विभिन्न चुनाव होने हैं, जिसमें कांग्रेस को कहीं ना कहीं इसका नुकसान होंगा,वहीं भाजपा के लिए भी यह कुर्सी प्रतिष्ठापूर्ण बनी हुई है, तथा वर्तमान में देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के केवल छह ही पार्षद हैं, तथा तीन पार्षदों ने विगत सालों कांग्रेस का दामन थाम लिया था, तथा कांग्रेस के पास 13 पार्षद है,जिसमें अगर देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी अपने पार्षदों पर अनुशासन बनाकर रखें एवं फरमान जारी कर दे तो ऐसा नहीं लगता कि नगर पालिका अध्यक्ष के अविश्वास में भाजपा को कोई सफलता मिल पाएगी,किंतु क्या ऐसा संभव हो पाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, किंतु नगर पालिका शक्ति के अध्यक्ष पद का राजनैतिक इतिहास देखा जाए तो 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पास 8 पार्षद होते हुए भी भाजपा अपना अध्यक्ष नहीं बना पाई तथा स्थिति यह हो गई थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस पार्टी के वर्तमान तत्कालीन छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ने प्रदेश के तत्कालीन दिग्गज मंत्री जयसिंह अग्रवाल को शक्ति में लाकर बैठा दिया एवं भाजपा द्वारा अधिकृत प्रत्याशी को जनचर्चा के अनुसार मंत्री जी के दबाव में अपना नामांकन ही भरने से रोक दिया गया तथा जिसके चलते भाजपा को मुंह की खानी पड़ी, आखिरकार स्थिति यह हो गई थी कि भाजपा को नगर पालिका अध्यक्ष का प्रत्याशी घोषित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा, अंततः वार्ड क्रमांक- 03 की निर्वाचित पार्षद एवं पूर्व विधायक कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह की सुपुत्री सिद्धेश्वरी सिंह को नामांकन दाखिले के कुछ मिनट पूर्व ही मनाकर उनसे नामांकन भरवारा गया, किंतु भाजपा के आठ पार्षद होने के बावजूद सुश्री सिद्धेश्वरी सिंह को केवल चार वोट ही मिले, जिसमें भाजपा की भी काफी राजनैतिक रूप से छवि खराब हुई थी, किंतु क्या यही इतिहास 24 जनवरी को भी होने वाले अविश्वास के दौरान दोहराया जाएगा इस बात को लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं